अब विक्रम नहीं, विक्रमादित्य कहलाएगा उज्जैन विश्वविद्यालय
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल: उज्जैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय का नाम अब विक्रमादित्य विश्वविद्यालय किया जाएगा। इसी तरह, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति को अब ‘कुलगुरू’ कहा जाएगा। इसके लिए विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा, जो 28 जुलाई 2025 से प्रारंभ हो रहा है।
इस सत्र की तैयारियों को लेकर मुख्य सचिव अनुराग जैन ने 17 जुलाई को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने लंबित मामलों का शीघ्र निराकरण करने के निर्देश दिए।
अनुपूरक बजट और संशोधन विधेयक
वर्ष 2025-26 के लिए प्रथम अनुपूरक बजट हेतु विनियोग विधेयक भी मानसून सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा। बैठक में संसदीय कार्य विभाग द्वारा लंबित मामलों की रिपोर्ट पेश की गई।
लंबित प्रश्नों की स्थिति
11 जुलाई 2025 तक 59 शून्यकाल प्रश्नों का निराकरण हो चुका है और 79 अभी लंबित हैं। फरवरी 2025 तक 980 अपूर्ण उत्तर थे, जिनमें 182 नए जुड़ने से कुल 1,172 हो गए। इनमें से 271 का निराकरण हो चुका है और 901 प्रश्न अभी भी लंबित हैं। इनमें सबसे अधिक प्रश्न कृषि, सामान्य प्रशासन और गृह विभाग से जुड़े हैं।
विभागीय सुझाव और समाधान
बैठक में प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास दीपाली रस्तोगी ने बताया कि कुछ प्रश्नों के उत्तर देने में हजारों पृष्ठ लगते हैं, जिनके लिए विभिन्न जिलों से जानकारी मंगानी पड़ती है। अन्य अधिकारियों ने भी यह बात दोहराई। इस पर मुख्य सचिव ने कहा कि जो जानकारी विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है, उसकी लिंक दी जा सकती है और शेष दस्तावेज अलग से दिए जाएं।
लंबित आश्वासन
बैठक में बताया गया कि वर्तमान में 1,144 विधायी आश्वासन लंबित हैं। इनमें से 697 फरवरी 2025 से पहले के हैं और 665 नए आश्वासन प्राप्त हुए हैं। इनमें से सबसे अधिक 267 नगरीय विकास एवं आवास विभाग से संबंधित हैं।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि जिन मामलों का निराकरण संभव नहीं है, उन्हें विधानसभा सचिवालय को सूचित कर समाप्त कराया जाए। संशोधन या नए विधेयक जिन विभागों को प्रस्तुत करने हैं, उनके लिए अगले दो-तीन दिन में वरिष्ठ सचिव समिति की बैठक आयोजित की जाए।