उज्जैन अब इंदौर मेट्रोपॉलिटन का हिस्सा: मुख्यमंत्री का बड़ा ऐलान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 13 नवंबर को ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर, इंदौर में आयोजित ‘मध्यप्रदेश टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव 2.0’ में शामिल हुए। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मध्यप्रदेश को तकनीक, नवाचार और निवेश का वैश्विक केंद्र बनाना है।
टियर-2 भारत की तकनीकी क्रांति का नेतृत्व करेगा मप्र
इस कार्यक्रम में राज्य के तकनीकी और औद्योगिक विकास के अगले चरण की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। मुख्यमंत्री ने उद्योग जगत के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ वन-टू-वन बैठकें कर निवेश और सहयोग के नए अवसरों पर चर्चा की।
15,896 करोड़ का निवेश और 64 हजार रोजगार
मुख्यमंत्री ने बताया कि कॉन्क्लेव के दौरान:
- 15,896 करोड़ रुपए का निवेश
- 64,000 नए रोजगार
- 22 नई इकाइयों का उद्घाटन (257 करोड़ निवेश, 2,125 रोजगार)
- 4 परियोजनाओं का भूमि-पूजन (1,346 करोड़ निवेश, 21,150 संभावित रोजगार)
- 27 प्रोजेक्ट जमीन पर उतर चुके हैं
भोपाल में 2000 एकड़ में नॉलेज सिटी
सिलिकॉन वेफर मैन्यूफैक्चरिंग, आईटी पार्क, और शोध परियोजनाओं के लिए 7 एमओयू साइन किए गए। इनसे 800 करोड़ का निवेश और 10,500 रोजगार मिलेंगे।
राज्य सरकार और भारतीय सेना के बीच एआई और साइबर सिक्योरिटी पर बड़ा एमओयू हुआ। ‘एमपी स्पेस ड्रोन टेक्नोलॉजी 2025’ का ड्राफ्ट लॉन्च किया गया।
भोपाल में 2000 एकड़ क्षेत्र में नॉलेज सिटी विकसित होगी, जिसमें विश्वस्तरीय संस्थान, शोध केंद्र और स्टार्टअप एक साथ आएंगे। 45 एकड़ में आधुनिक साइंस सिटी भी विकसित की जाएगी।
उज्जैन अब इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र का हिस्सा
मुख्यमंत्री यादव ने घोषणा की कि उज्जैन अब इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र का हिस्सा माना जाएगा, जिसमें इंदौर, देवास और धार भी शामिल हैं। इस मेट्रोपॉलिटन प्लान में फिनटेक टेक्नोलॉजी और साइंस सिटी जैसी परियोजनाएं शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि राजा जयसिंह के समय की प्राचीन वेधशालाओं को आधुनिक स्पेस टेक्नोलॉजी से जोड़कर शोध किया जाएगा, क्योंकि यह क्षेत्र पृथ्वी के मध्य बिंदु के करीब है।
‘एमपी स्पेस टेक्नोलॉजी पॉलिसी 2025’ का मसौदा जारी
कॉन्क्लेव में मध्यप्रदेश अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी नीति 2025 का मसौदा भी प्रस्तुत किया गया। इस नीति का लक्ष्य उज्जैन को भारत के उभरते स्पेस इनोवेशन हब के रूप में विकसित करना है, जहां प्राचीन खगोलीय विरासत और आधुनिक अंतरिक्ष तकनीक को जोड़ा जाएगा।
यह नीति IN-SPACE के राष्ट्रीय सुधारों के अनुरूप है और निजी क्षेत्र को सैटेलाइट डिजाइन और लॉन्च सेवाओं में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करेगी।