तंबाकू-सिगरेट पर उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक 2025 लोकसभा से पारित
तंबाकू-सिगरेट पर उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक 2025 बुधवार को लोकसभा से पारित हो गया। जीएसटी दरों में बदलाव के बाद तंबाकू और सिगरेट पर भारी शुल्क लगाए जाने का उद्देश्य इनकी बिक्री को हतोत्साहित करना है। इस विधेयक के तहत मिलने वाले राजस्व का 41% हिस्सा राज्यों को दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने इस पर चर्चा करते हुए स्पष्ट किया कि यह विधेयक सेस लगाने के बारे में नहीं है। इस कानून के तहत तंबाकू जैसे हानिकारक उत्पादों पर पहले से कई गुना अधिक शुल्क वसूला जाएगा ताकि इनकी खरीदारी कम हो और देश में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़े। हालांकि, इस उत्पाद शुल्क कानून के दायरे से बीड़ी बाहर रहेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बताया कि सरकार तंबाकू और सिगरेट की बिक्री को हतोत्साहित करने के लिए तंबाकू उत्पादों पर भारी शुल्क के साथ-साथ तंबाकू किसानों को वैकल्पिक कृषि के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे 10 राज्यों में तंबाकू की खेती होती है, और अब किसान तंबाकू के बजाय अन्य फसलें उगाने लगे हैं। 2018-2022 के बीच 45,323 हेक्टेयर जमीन पर किसान तंबाकू छोड़कर अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि पिछले कई सालों में आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, टर्की जैसे 80 देशों ने तंबाकू और सिगरेट की कीमतों में भारी वृद्धि की है, जबकि भारत में ऐसा नहीं किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस पर सवाल उठाया है कि भारत में तंबाकू उत्पादों की कीमत सस्ती हो गई है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है।
वित्त मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि कई सांसदों ने इस उत्पाद शुल्क विधेयक को सेस समझा है, लेकिन अब सेस को समाप्त कर दिया गया है। 2017 में जीएसटी प्रणाली लागू होने के दौरान तंबाकू, सिगरेट और पान मसाला पर 28% जीएसटी और सेस लगाया जाता है। सितंबर 2023 में जीएसटी प्रणाली में बदलाव के बाद, अन्य किसी भी वस्तु पर सेस नहीं लिया जाएगा और 40% का नया स्लैब लागू किया गया है। हालांकि तंबाकू और सिगरेट पर 28% जीएसटी और सेस जारी रहेगा। नए कानून के लागू होने के बाद, सरकार इसे 40% के जीएसटी स्लैब में ला सकती है, जिस पर फैसला जीएसटी काउंसिल, जिसकी अध्यक्ष वित्त मंत्री हैं, द्वारा लिया जाएगा।