सुप्रीम कोर्ट: गिरफ्तारी का कारण लिखित में बताना अनिवार्य


सुप्रीम कोर्ट: गिरफ्तारी का कारण लिखित में बताना अनिवार्य

6 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने कहा कि जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाए तो पुलिस को उसे लिखित में यह बताना अनिवार्य है कि उसे क्यों गिरफ्तार किया गया है। यह जानकारी व्यक्ति की समझ में आने वाली भाषा में दी जानी चाहिए। यह नियम सभी अपराधों और कानूनों पर लागू होता है।

कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी से पहले या तुरंत बाद लिखित कारण न देने से सिर्फ यह गिरफ्तारी रद्द नहीं होगी, लेकिन गिरफ्तार व्यक्ति को उचित समय के अंदर यह जानकारी दी जानी चाहिए, कम से कम दो घंटे पहले मजिस्ट्रेट के सामने रिमांड के लिए पेश होने से। नियम न मानने पर गिरफ्तारी और रिमांड अवैध माने जाएंगे।

BMW हिट-एंड-रन केस का संदर्भ

यह फैसला मिहिर राजेश शाह बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में दिया गया, जो जुलाई 2024 के मुंबई BMW हिट-एंड-रन केस से जुड़ा है। मिहिर शाह ने दावा किया कि उन्हें गिरफ्तारी का लिखित कारण नहीं दिया गया, जिससे गिरफ्तारी अवैध है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रक्रिया में गलती स्वीकार की थी, लेकिन मामले की गंभीरता के कारण गिरफ्तारी को सही ठहराया।

52 पृष्ठों के फैसले में जस्टिस एजे मसीह और CJI बीआर गवई ने कहा कि गिरफ्तारी का कारण बताना संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 के तहत अनिवार्य है। कोर्ट ने दो मुख्य सवालों पर विचार किया:

  1. क्या हर मामले में, चाहे अपराध भारतीय दंड संहिता (BNS 2023) के तहत हो, गिरफ्तारी से पहले या तुरंत बाद आरोपी को कारण बताना जरूरी है?
  2. यदि कुछ परिस्थितियों में तुरंत कारण बताना संभव न हो, तो क्या गिरफ्तारी अमान्य होगी?

कोर्ट ने कहा कि यदि कारण ऐसी भाषा में दिया जाए जिसे आरोपी न समझे, तो यह संविधान का उल्लंघन है। गिरफ्तारी की जानकारी व्यक्ति को समझ में आने वाली भाषा में देना आवश्यक है, ताकि वह अपने खिलाफ आरोप समझ सके और अपनी स्वतंत्रता की रक्षा कर सके।

BMW हादसे का विवरण

7 जुलाई 2024 को मिहिर शाह ने मुंबई में BMW कार से एक दंपत्ति को टक्कर मारी। 45 वर्षीय महिला कावेरी नखवा की मृत्यु हो गई और उनके पति को गंभीर चोटें आईं। दंपत्ति स्कूटी पर थे जब तेज BMW ने उन्हें टक्कर मारी। आरोपी मिहिर और उसका ड्राइवर मौके से भाग गए। फॉरेंसिक जांच में घटना के तीन दिन बाद लिए गए रक्त और यूरिन सैंपलों में शराब नहीं मिली।

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सभी हाईकोर्ट और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजने का निर्देश दिया ताकि गिरफ्तारी की प्रक्रिया सभी जगह सही ढंग से लागू हो।




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