किसानों के दबाव में सिंहस्थ लैंड पूलिंग योजना निरस्त
किसानों का विरोध
सरकार ने पहले प्रयास किया था कि किसानों की सहमति से लैंड पूलिंग की जाए, लेकिन भारतीय किसान संघ इससे असहमत था। किसान संघ का तर्क था कि सिंहस्थ के लिए स्थायी निर्माण हेतु भूमि लेने से उनकी आजीविका खतरे में पड़ जाएगी।
सरकार ने एक्ट निरस्त किया
किसानों के भारी विरोध के बाद प्रदेश सरकार ने सिंहस्थ लैंड पूलिंग एक्ट को औपचारिक रूप से निरस्त कर दिया। 17 नवंबर को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भारतीय किसान संघ, भाजपा और अन्य प्रतिनिधियों के साथ बैठक में किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए यह निर्णय लिया।
2028 सिंहस्थ के लिए अस्थायी भूमि अधिग्रहण
किसानों ने पूर्ण निरस्तीकरण की मांग की थी, जिससे अब भूमि अस्थायी रूप से ही अधिग्रहीत की जाएगी। उज्जैन में 2028 सिंहस्थ के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए, भूमि अस्थायी रूप से ली जाएगी और किसानों को नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा।
शीर्ष नेतृत्व की भागीदारी
मामला शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचा। कई बैठकें हुईं जिसमें भाजपा पदाधिकारी, स्थानीय प्रतिनिधि और जिला प्रशासन शामिल थे। मुख्यमंत्री ने 17 नवंबर को दिल्ली से लौटकर भारतीय किसान संघ, भाजपा और उज्जैन के अधिकारियों के साथ चर्चा की और सभी ने सहमति जताई कि सिंहस्थ का आयोजन दिव्य, भव्य और विश्वस्तरीय रूप में किया जाए, साथ ही साधु-संतों, श्रद्धालुओं और किसानों के हितों का ध्यान रखा जाए।
भूमि और प्रस्तावित योजना का विवरण
उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र में लगभग 2,800 हेक्टेयर भूमि है, जिसमें 850 हेक्टेयर सरकारी और शेष निजी भूमि है। सरकार बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्थायी निर्माण करना चाहती थी और लैंड पूलिंग के माध्यम से किसानों की भूमि अधिग्रहीत करने की योजना बनाई थी। अब एक्ट निरस्त होने से स्थायी निर्माण की योजना स्थगित हो गई है।
बैठक में मौजूद नेता
बैठक में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, विधायक अनिल जैन कालुहेड़ा, किसान संघ प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना, महेश चौधरी, भाजपा नगर अध्यक्ष संजय अग्रवाल, जिला सचिव कमलेश बैरवा, महामंत्री जगदीश पांचाल, आनंद खींची और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। किसान संघ ने मुख्यमंत्री के निर्णय का स्वागत किया और उनका आभार व्यक्त किया।