रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व बनेगा मध्यप्रदेश में चीतों का तीसरा घर
मध्यप्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व को राज्य में चीतों के तीसरे घर के रूप में तैयार किया जा रहा है। एनटीसीए के चीता प्रोजेक्ट के तहत नौरादेही में चीतों को बसाने के लिए हरी झंडी मिल गई है और टाइगर रिजर्व प्रबंधन को आवश्यक बजट भी प्रदान किया गया है। चीतों के लिए क्वारंटाइन बाड़ा और सॉफ्ट रिलीज बाड़े तैयार किए जा रहे हैं। सबसे बड़ा काम चीतों के आने से पहले लगभग 20 किमी लंबी फेंसिंग का निर्माण है।
देहरादून के विशेषज्ञों ने दी हरी झंडी
बजट मिलने के बाद नौरादेही टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने बाड़े बनाने का काम शुरू कर दिया। भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के विशेषज्ञों की टीम ने अप्रैल और मई में रिजर्व का दौरा कर चीतों के पुनर्स्थापन के लिए सुरक्षा, भोजन, पानी और मानव-जानवर संघर्ष से जुड़े सुझाव दिए।
उपयुक्त क्षेत्रों की पहचान
विशेषज्ञों ने सागर-दमोह सीमा के जंगलों को चीतों के लिए उपयुक्त पाया। सागर की मोहली और सिंगपुर रेंज और दमोह की झापन रेंज में लगभग 600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को उपयुक्त माना गया। दमोह में विस्थापन धीमी गति से होने के कारण चीतों को झापन रेंज में बसाया जाएगा। मानव-चीत संघर्ष को रोकने के लिए 20 किमी लंबी फेंसिंग बनाई जा रही है।
चीते 2026 में आएंगे
टाइगर रिजर्व प्रबंधन को लगभग 5 करोड़ रुपये का बजट मिल चुका है। फेंसिंग और बाड़ों की तैयारी के साथ ही माना जा रहा है कि 2026 की गर्मियों में चीतों को यहां लाया जाएगा। विशेषज्ञों ने जल स्रोत बढ़ाने, घासभूमि विकसित करने और शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ाने की सलाह दी है। इस दिशा में भी काम शुरू हो गया है।
तैयारी और बाड़े
नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए.ए. अंसारी ने बताया: "हमें तैयारी के लिए लगभग 5 करोड़ रुपये का बजट मिला है। क्वारंटाइन बाड़ा तैयार है और चार सॉफ्ट रिलीज बाड़ों की तैयारी भी हो चुकी है। शेष कार्य सीमा रेखा की फेंसिंग का है, पहले चरण में चीतों को रखने वाले क्षेत्र में हम लगभग 20 किमी फेंसिंग कर रहे हैं।"