प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में निजी डॉक्टर करेंगे उपचार
सरकार प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए दो बड़े कदम उठाने जा रही है। पहला कदम यह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में निजी डॉक्टरों की सेवाएं ली जाएंगी। इन डॉक्टरों से अनुबंध किया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें बुलाया जाएगा, इसके बदले मानदेय दिया जाएगा। दूसरा कदम यह है कि सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों से एमडी/एमएस कर निकले डॉक्टरों को बंधपत्र अवधि में विशेषज्ञ डॉक्टर के बराबर वेतन मिलेगा।
इन बदलावों के लिए शर्तों में बदलाव के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यह निर्देश बुधवार को लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में दिए। वर्तमान में पीजी बांडेड डॉक्टरों को ₹59,000 पारिश्रमिक मिलता है, जबकि पीजी के दौरान उन्हें ₹77,000 मानदेय दिया जाता है।
स्वास्थ्य योजना और मेडिकल टूरिज्म हब
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में एक जिले को मेडिकल टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने और आयुष्मान भारत योजना का लाभ अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि जो अस्पताल आयुष्मान योजना में नहीं जुड़े, उन्हें भी योजना में शामिल किया जाए।
डॉक्टरों की भर्ती और सेवा
मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों के पदों को भरने की प्रक्रिया तेज करने और बांड वाले डॉक्टरों को प्रदेश में ही सेवाएं देने के प्रयास करने का निर्देश दिया। जनजातीय एवं दूरस्थ क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए बांड डॉक्टरों को आकर्षक मानदेय देने की बात भी कही। इस बैठक में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल और मुख्य सचिव अनुराग जैन भी उपस्थित थे।
निजी अस्पतालों में सीजेरियन ऑपरेशन की शिकायतें
मुख्यमंत्री ने निजी अस्पतालों में बेवजह सीजेरियन ऑपरेशन की शिकायतों का जिक्र किया और इस पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसके अलावा, उन्होंने 108 एम्बुलेंस के चालकों द्वारा मरीजों को जबरदस्ती निजी अस्पतालों में ले जाने की शिकायतों पर रोक लगाने का भी आदेश दिया। अधिकारियों ने बताया कि पिछले दो वर्षों में सरकारी अस्पतालों में 84,000 से अधिक कार्डियक सर्जरी की गई हैं और 38 मृतकों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया है।
नए मेडिकल कॉलेज और कैथ लैब की स्थापना
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने बताया कि अगले तीन वर्षों में सीएम-केयर योजना के तहत कई महत्वपूर्ण कार्य किए जाएंगे। 2028 तक राजगढ़, मंडला, छतरपुर, उज्जैन, दमोह और बुधनी में शासकीय मेडिकल कॉलेज और संभागीय मुख्यालयों में कैथ लैब की शुरुआत हो जाएगी। इस अवधि में मातृ मृत्यु दर को 100 प्रति लाख जीवित जन्म तक लाने का लक्ष्य है।
खाद्य प्रशासन को मजबूत करने के लिए एफएसएसएआइ ने वर्ष 2025-26 के लिए ₹41.07 करोड़ की कार्ययोजना स्वीकृत की है। औषधि प्रशासन के तहत लैब निर्माण और अन्य सुविधाओं के लिए ₹211 करोड़ की पांच वर्षीय कार्ययोजना सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड एंड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन को भेजी गई है।
नई स्वास्थ्य सुविधाएं
कैंसर उपचार: इंदौर, जबलपुर, रीवा और ग्वालियर मेडिकल कॉलेजों में 200 करोड़ रुपये से आधुनिक ड्यूल एनर्जी लीनियर एक्सीलरेटर मशीनें खरीदी जाएंगी। भोपाल, इंदौर, रीवा और सागर में ब्रैकीथेरेपी मशीनें ₹7 करोड़ से खरीदी जा रही हैं।
सीटी स्कैन और एमआरआई: भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रीवा और सागर मेडिकल कॉलेजों में सीटी स्कैन और एमआरआई मशीनें स्थापित की जा रही हैं। ग्वालियर, रतलाम और विदिशा मेडिकल कॉलेजों के लिए भी ऐसी मशीनें खरीदी जाएंगी।
नए जिला अस्पताल: प्रदेश के मैहर, मऊगंज और पांढुर्ना जिलों में नए जिला चिकित्सालयों के निर्माण की मंजूरी दे दी गई है।