मध्यप्रदेश में अब नहीं खुलेंगे नए सरकारी डिग्री कॉलेज
मध्यप्रदेश सरकार ने यह अनौपचारिक निर्णय लिया है कि अब बिना उचित आवश्यकता और सर्वेक्षण के कोई नया सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं खोला जाएगा। अगर कोई विधायक कॉलेज खोलने की घोषणा करता है, तो उच्च शिक्षा विभाग पहले यह देखेगा कि वास्तव में उस क्षेत्र में कॉलेज की जरूरत है या नहीं।
निर्णय के पीछे की वजह
यह फैसला विधानसभा चुनाव 2023 के समय खोले गए 35 नए कॉलेजों के अनुभव के आधार पर लिया गया है। इन कॉलेजों में केवल 1500 विद्यार्थी नामांकित हैं, जबकि सरकार हर वर्ष इन पर करीब 150 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
नए कॉलेज खोलने के मापदंड
उच्च शिक्षा विभाग के एसीएस अनुपम राजन के अनुसार, नए कॉलेज खोलने से पहले निम्नलिखित मापदंड देखे जाएंगे:
- कॉलेज खोलने वाले स्थान से 20 से 30 किलोमीटर के दायरे में पहले से कोई कॉलेज है या नहीं।
- क्या उस क्षेत्र में कोई उच्च माध्यमिक स्कूल है जिसमें 500 या उससे अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हों।
नए 35 कॉलेजों की वर्तमान स्थिति
- इन 35 में से केवल 5 कॉलेजों को अब तक भूमि आवंटित हुई है।
- शाहपुरा (जबलपुर), कम्पेल (इंदौर), चरगंवा (जबलपुर), भेरवा (उमरिया), रेहटगांव (हरदा), कोठी (सतना), दमोह व मॉडल कॉलेज गुना जैसे स्थानों पर 100 से भी कम विद्यार्थी हैं।
विधायकों की घोषणा और असल प्रक्रिया
वर्तमान में विधायक अपने क्षेत्र में वोटर्स को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री से कॉलेज की घोषणा करवा देते हैं, जबकि सर्वे बाद में होता है। सही प्रक्रिया यह है कि पहले क्षेत्र का सर्वे हो और फिर समिति कॉलेज खोलने पर निर्णय ले।
मध्यप्रदेश में कॉलेजों की स्थिति
- मध्यप्रदेश में कुल 1371 कॉलेज हैं, जिनमें लगभग 15 लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं।
- इनमें से 571 कॉलेज सरकारी हैं, जिनमें 11.75 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
- लेकिन हाल ही में खुले 35 कॉलेजों में सिर्फ 1500 छात्रों ने ही प्रवेश लिया है, जबकि इनका एक सत्र पूरा हो चुका है।
कुछ विशेष उदाहरण
मंडीदीप का राजा भोज कॉलेज, जिसमें 1000 विद्यार्थी हैं, लेकिन अब तक इसे भूमि नहीं मिली। कलेक्टर ने हाल ही में ए.के.वी.एन. को 12 एकड़ जमीन आवंटित करने के लिए पत्र लिखा है।
भोपाल के फंदा कॉलेज में सिर्फ 25 विद्यार्थी हैं, लेकिन भवन निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये की मांग की गई है।