प्रदेश में प्रारंभ होंगे नए वन्य प्राणी रेस्क्यू सेंटर : मुख्यमंत्री डॉ. यादव


प्रदेश में प्रारंभ होंगे नए वन्य प्राणी रेस्क्यू सेंटर : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक वन क्षेत्र और वन्यजीवों की विविधता से संपन्न राज्य है। भारत में सबसे अधिक बाघ मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं। तेंदुआ और गिद्ध की संख्या भी यहां सबसे अधिक है। विभिन्न वन क्षेत्रों में मगरमच्छ और घड़ियालों का भी वास है।

डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार वन्यजीव संरक्षण, जंगलों की रक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने की दिशा में लगातार कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में यह कार्य और भी तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।

संभाग स्तर पर आवश्यक हैं रेस्क्यू सेंटर

मुख्यमंत्री ने बताया कि अब वन्यजीव प्रेमियों के लिए किंग कोबरा को भी प्रदेश में लाया गया है। चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान से गांधी सागर वन क्षेत्र में स्थानांतरित कर नया नेशनल पार्क विकसित किया जा रहा है। इससे बाघ और अन्य वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसके चलते संभाग स्तर पर रेस्क्यू सेंटर की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

फिलहाल प्रदेश में केवल एक ही रेस्क्यू सेंटर वन विहार भोपाल में स्थित है, जहां पूरे प्रदेश से घायल व बीमार वन्यजीवों का उपचार होता है। लेकिन कई बार पर्यावरण अनुकूल न होने से दिक्कतें आती हैं। इसीलिए नए रेस्क्यू सेंटर हर संभाग में शुरू किए जाएंगे।

प्रदेश में बढ़ेगी प्राणी उद्यानों की संख्या

राज्य सरकार दो नए प्राणी उद्यान (जू) स्थापित करने जा रही है, जिन्हें बजट में स्वीकृति मिल चुकी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि गुजरात में देश का सर्वश्रेष्ठ जू और रेस्क्यू सेंटर है। वे गुजरात यात्रा के दौरान जामनगर में वन्यजीवों की देखरेख की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करेंगे और वन्यजीवों के आदान-प्रदान की संभावनाएं भी तलाशेंगे।

वेटनरी शिक्षा और जन-जागरूकता

प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों में वेटनरी कोर्स और अस्पताल शुरू कर पशु चिकित्सकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। निकट भविष्य में इससे संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन और वन्यजीवों के संरक्षण का व्यापक अभियान प्रदेश में चल रहा है। उन्होंने जनता से आग्रह किया कि अगर किसी वन्यजीव को संकट में देखें, तो नजदीकी वन अधिकारी को तुरंत सूचित करें। राज्य सरकार नागरिकों के साथ-साथ वन्यजीवों के लिए भी संवेदनशील है।




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