24 फरवरी को, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के अभ्यर्थियों के लिए सिविल सर्विसेज परीक्षा 2025 में 5 वर्ष की आयु सीमा में छूट देने का अंतरिम आदेश बरकरार रखा। कोर्ट ने यूपीएससी की उस आपत्ति को स्वीकार नहीं किया, जिसमें कहा गया था कि अंतिम चरण में नियम बदलने से व्यावहारिक समस्याएं उत्पन्न होंगी। कोर्ट ने यह साफ किया कि अभ्यर्थियों के परीक्षा परिणाम विचाराधीन याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होंगे।
मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगल पीठ ने अंतिम सुनवाई 24 फरवरी को निर्धारित की है। उल्लेखनीय है कि सोमवार को हाई कोर्ट ने यूपीएससी को अंतरिम आदेश में निर्देश दिया था कि वह सिविल सेवा परीक्षा 2025 में शामिल होने के लिए आवेदन में ईडब्ल्यूएस के अभ्यर्थियों को 5 वर्ष की छूट प्रदान करे। 25 फरवरी को 16 याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई में यूपीएससी ने दलील दी कि इस तरह अंतिम समय में आयु सीमा छूट संबंधी अंतरिम आदेश जारी होने से परीक्षा संचालन में परेशानी होगी। केंद्र सरकार की ओर से डिप्टी सालिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने भी कहा कि अंतिम चरण में अंतरिम राहत का पालन करने से यूपीएससी को नए नोटिफिकेशन जारी करने में कई समस्याएं आएंगी, लेकिन हाई कोर्ट ने इन तर्कों को अस्वीकार कर अपना आदेश बरकरार रखा।
कोर्ट ने कहा कि अभ्यर्थियों को आयु सीमा में छूट देकर परीक्षा में शामिल होने दिया जाए और समय का नुकसान न किया जाए, क्योंकि आवेदन की अंतिम तिथि 18 फरवरी निर्धारित थी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सतना निवासी याचिकाकर्ता आदित्य नारायण पांडेय की ओर से दलील दी कि यूपीएससी ने पूर्व में भी समय-समय पर विभिन्न परीक्षाओं के अभ्यर्थियों को आयु सीमा में छूट दी है और प्रतिभाग बढ़ाए गए हैं। सोमवार को सुनवाई के दौरान यह भी दलील दी गई कि अन्य सभी आरक्षित वर्ग जैसे एससी, एसटी और ओबीसी को आयु सीमा में छूट दी जाती है, इसलिए ईडब्ल्यूएस को भी यह लाभ मिलना चाहिए।