अब मध्यप्रदेश में सिविल जजों की भर्ती पूरी होगी
सुप्रीम कोर्ट ने दी इंटरव्यू और रिजल्ट जारी करने की अनुमति
मध्यप्रदेश में लंबे समय से अटकी हुई सिविल जज (जूनियर डिवीजन – एंट्री लेवल) 2022 की भर्ती प्रक्रिया को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल गई है। कोर्ट ने हाईकोर्ट को इंटरव्यू प्रक्रिया पूरी करने और परिणाम घोषित करने की अनुमति दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदूरकर की बेंच ने यह आदेश हाईकोर्ट की ओर से पेश वकील अश्विनी कुमार दुबे की दलीलें सुनने के बाद दिया। उन्होंने कहा कि दोबारा परीक्षा कराना असंवैधानिक और अव्यावहारिक होगा।
क्या था विवाद?
हाईकोर्ट ने बताया कि 77 अभ्यर्थी पहले ही मुख्य परीक्षा पास कर चुके हैं, लेकिन 2023 में नियमों में बदलाव की वजह से भर्ती पर रोक लग गई थी।
नियम में बदलाव बना विवाद का कारण
जून 2023 में मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा नियम, 1994 में संशोधन कर वकालत के तीन साल का अनुभव अनिवार्य कर दिया गया था। लेकिन 70% या अधिक अंक लाने वाले सामान्य और ओबीसी वर्ग के लॉ ग्रेजुएट्स को छूट दी गई थी।
इसके बावजूद दो अभ्यर्थियों—ज्योत्सना दोहालिया और वर्षा श्रीवास्तव—ने हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने 77 चयनित अभ्यर्थियों को अयोग्य ठहराकर प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी।