मांग वाले पाठ्यक्रमों में बढ़ेंगी सीटें, विश्वविद्यालयों में भारतीय भाषाओं के कोर्स
मध्य प्रदेश, जो देश का पहला राज्य है जिसने मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में शुरू की, अब उच्च शिक्षा में एक और नई पहल करने जा रहा है। राज्य सरकार ने यह तय किया है कि अब प्रदेश के विश्वविद्यालयों में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाएगा और देश में भाषाई एकता का संदेश दिया जाएगा।
उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 17 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को विभिन्न भारतीय भाषाएं आवंटित कर दी हैं। इन विश्वविद्यालयों में अब पारंपरिक विषयों के साथ-साथ भारतीय भाषाओं से संबंधित सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और क्रेडिट आधारित कोर्स शुरू किए जाएंगे।
भारतीय भाषाओं के लिए कार्ययोजना
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कुलपतियों के साथ बैठक कर इन कोर्सों की विस्तृत कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि हर विश्वविद्यालय को आवंटित भाषा में पाठ्यक्रम बनाकर उसका क्रियान्वयन करना होगा। यह पहल भाषाई विविधता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
रिक्त पदों की शीघ्र भर्ती के निर्देश
मंत्री ने विश्वविद्यालयों से कहा कि वे रिक्त शैक्षणिक पदों की जानकारी अपडेट करें और रोस्टर प्रणाली के अनुसार भर्ती प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करें। इसके लिए शीघ्र विज्ञापन जारी करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
डिजिटल मूल्यांकन को बढ़ावा
नकल रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए डिजिटल मूल्यांकन और डिजिटल सिक्योरिटी को बढ़ावा देने के निर्देश दिए गए हैं। मंत्री ने कहा कि मेधावी विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं पोर्टल पर सार्वजनिक की जाएं, जिससे अन्य विद्यार्थी भी प्रेरित हों। साथ ही, डिग्री और अंकसूचियां डिजिलॉकर में उपलब्ध कराई जाएं।
चार विश्वविद्यालयों की समिति गठित
भाषा पाठ्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने और सिलेबस निर्धारण के लिए चार विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की एक समिति गठित की गई है। समिति जल्द ही पाठ्यक्रम और अन्य प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देगी।
बैठक में सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक सुझाव भी दिए।