मध्य प्रदेश बजट 2025-26: नया विचार, नया जोश


12 मार्च को मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राज्य का बजट प्रस्तुत किया, जिसका कुल आकार 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। यह मोहन सरकार का दूसरा पूर्ण बजट है, जो सभी वर्गों - युवा, महिला, उद्यमी, किसान और गरीब - को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। खास बात यह है कि इस बजट में कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया और न ही पुराने टैक्स में कोई बढ़ोतरी की गई। इसका मतलब है कि आम जनता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। लेकिन साथ ही, किसी भी वस्तु या सेवा पर छूट की घोषणा भी नहीं हुई, जिससे कीमतों में कमी की उम्मीद भी नहीं है।

मुख्यमंत्री शिवराज का GYAN मॉडल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के GYAN मॉडल पर आधारित बताया, जिसमें गरीब कल्याण (G), युवा सशक्तिकरण (Y), आधुनिक कृषि (A) और नारी सम्मान (N) शामिल हैं। बजट में इन चारों क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया गया है। गरीबों के लिए मुफ्त राशन योजना, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर, किसानों की आय बढ़ाने वाली योजनाएं और महिलाओं को सशक्त करने के लिए लाडली बहना योजना का विस्तार जैसे कदम इसकी मिसाल हैं। लेकिन क्या यह बजट सचमुच सभी वर्गों के लिए कुछ लेकर आया है, या यह सिर्फ दिखावे की कवायद है?

सभी के लिए कुछ, लेकिन कितना असरदार?

बजट में युवाओं, महिलाओं, किसानों, उद्यमियों और गरीबों के लिए कई घोषणाएं की गई हैं। 'लाडली बहना' योजना को केंद्र की योजनाओं से जोड़ना, 1 करोड़ 33 लाख परिवारों को मुफ्त राशन, और 'एक जिला एक उत्पाद' जैसी पहलें सुनने में अच्छी लगती हैं। 39 नए औद्योगिक क्षेत्र, 18 नई नीतियां, और 20 करोड़ 52 लाख रुपये की छात्रवृत्ति से युवाओं को रोजगार और शिक्षा का वादा किया गया है। जनजातीय समुदायों के लिए 50 छात्रों को विदेश पढ़ने भेजना और 11,300 गांवों के विकास का प्लान भी सराहनीय है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये योजनाएं जमीनी हकीकत में उतर पाएंगी?

टैक्स नहीं बढ़ा, फिर भी राहत नहीं

वित्त मंत्री ने कोई नया टैक्स नहीं लगाया, न ही पुराने टैक्स बढ़ाए। यह आम आदमी के लिए राहत की बात हो सकती है, लेकिन दूसरी तरफ कोई छूट भी नहीं दी गई। यानी महंगाई के इस दौर में आम जरूरत का सामान सस्ता होने की उम्मीद भी नहीं है।

'कर्ज का बजट' या विकास का रास्ता?

कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने इसे 'कर्ज का बजट' करार दिया। 4 लाख करोड़ का बजट भले ही बड़ा दिखे, लेकिन इसके पीछे राज्य की आर्थिक सेहत का सवाल खड़ा होता है। पिछले 22 साल में GSDP में 17 गुना बढ़ोतरी का दावा किया गया, पर क्या यह प्रगति आम आदमी तक पहुंची है? नए औद्योगिक क्षेत्रों और निवेश नीतियों से रोजगार बढ़ने की बात कही जा रही है, लेकिन कर्ज के बोझ तले दबी सरकार इन वादों को कैसे पूरा करेगी?

शिक्षा और तकनीक: भविष्य की उम्मीद

शिक्षा में AI की पढ़ाई शुरू करना और 73 विश्वविद्यालयों को इसमें शामिल करना एक दूरदर्शी कदम है। यह युवाओं को भविष्य की तकनीक के लिए तैयार कर सकता है। साथ ही, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 20 करोड़ 52 लाख रुपये और जनजातीय बच्चों के लिए सीएम राइज स्कूलों में 1017 करोड़ रुपये का प्रावधान स्वागत योग्य है।

संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा

छिंदवाड़ा संग्रहालय का विस्तार और धार-डिंडोरी में जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान जैसे कदम पर्यटन को बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं। 'एक जिला एक उत्पाद' के तहत 19 जिलों को GI टैग मिलना भी स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है।

महिलाओं और कमजोर वर्गों का कितना ख्याल?

महिलाओं के लिए आहार अनुदान में 1500 रुपये और कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल की योजना सकारात्मक है। विशेष पिछड़ी जातियों के लिए 53 हजार घर और 22 नए छात्रावास भी सामाजिक न्याय की दिशा में कदम हैं।

संतुलित और महत्वाकांक्षी बजट

यह बजट कागज पर तो संतुलित और महत्वाकांक्षी दिखता है। 'उद्योग वर्ष' की घोषणा, रोजगार के वादे, और जनजातीय विकास पर फोकस सरकार की मंशा को दर्शाते हैं। लेकिन असली चुनौती इसके अमल में है। बिना ठोस योजना और पारदर्शिता के ये बड़े-बड़े वादे हवा में उड़ सकते हैं। कांग्रेस का 'कर्ज का बजट' वाला तंज शायद अतिशयोक्ति हो, पर सरकार को यह साबित करना होगा कि यह विकास का रास्ता है, न कि कर्ज का जाल।




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