एम.सेलवेंद्रन प्रमुख सचिव पद पर पदोन्नत, कई आईएएस और एसएएस अधिकारियों को भी पदोन्नति
राजधानी भोपाल में कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह समेत 4 अन्य आईएएस सचिव पद पर पदोन्नत होंगे। इनमें उज्जैन संभागायुक्त आशीष सिंह, ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान और एक अन्य आईएएस अधिकारी शामिल हैं। इसके अलावा करीब 50 आईएएस अधिकारियों का भी ओहदा बढ़ेगा। ये अतिरिक्त सचिव से सचिव, सचिव से प्रमुख सचिव, और प्रमुख सचिव से अपर मुख्य सचिव के पद पर पदोन्नत होंगे।
राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) के 50 से 60 अधिकारी भी पदोन्नति पाएंगे, जो डिप्टी कलेक्टर से संयुक्त कलेक्टर और संयुक्त कलेक्टर से अपर कलेक्टर बनेंगे। इनके ग्रेड-पे में भी वृद्धि होगी। सरकार स्तर पर तैयारियां नवंबर-दिसंबर में पूरी की जाएंगी। पदोन्नति आदेश 1 जनवरी से प्रभावी होंगे।
जो डिप्टी कलेक्टर पदोन्नति के दायरे में आएंगे, उन्हें संयुक्त कलेक्टर बनाकर ग्रेड-पे 5400 से 6600 किया जाएगा। इसी तरह संयुक्त कलेक्टर को अपर कलेक्टर बनाया जाएगा, जिनका ग्रेड-पे 6600 से बढ़ाकर 7600 होगा। योग्य संयुक्त कलेक्टरों का ग्रेड-पे 7600 से बढ़कर 8700 होगा, लेकिन पदनाम में बदलाव नहीं होगा।
प्रदेशभर में एसआइआर (सिस्टमेटिक इंस्पेक्शन एंड रिव्यू) शुरू हो गया है, जिसमें कई आईएएस और एसएएस अधिकारी शामिल हैं जो कलेक्टर से लेकर एसडीएम जैसे पदों पर कार्यरत हैं। जिन अधिकारियों का ओहदा बढ़ना है और जो एसआइआर से जुड़े कामों में लगे हैं, उन्हें फरवरी के अंत तक मौजूदा पदों पर ही काम करना होगा, ताकि मतदाता सूची से जुड़े काम पूरे हो सकें।
कर्मचारियों में पदोन्नति का इंतजार बढ़ रहा है। मामला सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट में पहुंच चुका है, और सरकार ने अपना जवाब पेश कर दिया है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यदि नए पदोन्नति नियम बनाते समय सभी संगठनों और कर्मचारियों को भरोसे में लिया गया होता, तो मामला कोर्ट तक नहीं जाता। हालांकि सरकार और अधिकारियों ने कई प्रयास किए, फिर भी पदोन्नति नीति पर चुनौती दी गई। कई कर्मचारियों का मानना है कि जो लाभ मिल रहा था, उसे लिया जाना चाहिए था क्योंकि लाखों कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो गए।