महंगा हुआ मेट्रो प्रोजेक्ट: इंदौर की लागत ₹11,501 करोड़, भोपाल की ₹10,033 करोड़
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक: इंदौर और भोपाल की मेट्रो परियोजनाओं की लागत में करीब ₹7000 करोड़ का इजाफा हुआ है। मूल लागत 2015 के स्टैंडर्ड ऑफ रेट्स (SOR) पर आधारित थी, जिसे 2018 में स्वीकृति मिली थी। लेकिन अब तक स्ट्रक्चर, तकनीक और जीएसटी दरों में बदलाव हो चुका है। संशोधित लागत को पहले एमपीएमआरसीएल बोर्ड और फिर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
फंडिंग मॉडल
मेट्रो का निर्माण 20:20:60 फॉर्मूले पर हो रहा है:
- 20% - केंद्र सरकार
- 20% - राज्य सरकार
- 60% - फंडिंग एजेंसियां (बैंक/वित्तीय संस्थान)
संशोधित लागत के अनुसार राज्य और केंद्र सरकारों को ₹3000 करोड़ से अधिक का अतिरिक्त भार उठाना पड़ेगा।
काम की प्रगति
- इंदौर: ₹4197 करोड़ प्राप्त हुए, जिनमें से 89% खर्च हो चुके हैं।
- भोपाल: ₹3471 करोड़ प्राप्त हुए, जिनमें से 86% खर्च हो चुके हैं।
काम की गति के लिहाज़ से इंदौर फिलहाल भोपाल से आगे है।
भविष्य की योजना (इंदौर: 2027 से 2032)
इंदौर में दो नए रूट प्रस्तावित हैं।
भविष्य की योजना (भोपाल: 2042 तक)
- बैरागढ़ से मीनाल: 17.20 किमी
- एयरपोर्ट से बंजारी चौक: 16.70 किमी
- कोलार से एयरपोर्ट: 28.38 किमी
- हबीबगंज से मंडीदीप: 16.06 किमी
- बैरागढ़ से फंदा: 13.80 किमी
- बंजारी चौक से कोलार: 5.55 किमी
नई योजनाएं: इंदौर-उज्जैन और पीथमपुर कॉरिडोर
इंदौर से उज्जैन और पीथमपुर के लिए 84 किमी लंबे लव-कुश कॉरिडोर की फिजिबिलिटी रिपोर्ट डीएमआरसी द्वारा सौंपी गई। अब डीपीआर तैयार की जाएगी।
लागत क्यों बढ़ी?
- भोपाल: लंबाई 27.28 किमी से 30.90 किमी हुई, जीएसटी 12% से 18% → लागत ₹6914.40 करोड़ से ₹10,033 करोड़।
- इंदौर: पूरा कॉरिडोर एलिवेटेड किया गया, भूमिगत स्टेशन और सुरंगें बढ़ीं → लागत ₹6914.40 करोड़ से ₹11,501 करोड़।
लक्ष्य
- इंदौर: भूमिगत कॉरिडोर का शिलान्यास अक्टूबर 2025 तक प्रस्तावित।
- भोपाल: ब्लू लाइन का 20% वायाडक्ट निर्माण 2025-26 तक पूरा करने का लक्ष्य।
दोनों शहरों की कॉम्प्रिहेन्सिव मोबिलिटी प्लान (CMP) और वैकल्पिक विश्लेषण रिपोर्ट (AAR) तैयार हो चुकी हैं।