पूरे वर्ष में सात प्रतिशत से अधिक रहेगी वृद्धि दर
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की विकास दर सात प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान जताया है। उन्होंने कहा कि बेहतर जीडीपी प्रदर्शन, मजबूत सप्लाई चेन और निजी खपत में वृद्धि से विकास दर मजबूत रहेगी। कृषि क्षेत्र में भी सुधार की उम्मीद है, क्योंकि गेहूं और दालों की बुवाई में वृद्धि हुई है। मशीनरी आयात और स्टील उत्पादन में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही (जुलाई–सितंबर) में उम्मीद से अधिक जीडीपी का प्रदर्शन और अक्टूबर के आर्थिक संकेतकों को देखते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने दावा किया कि पूरे वित्त वर्ष में विकास दर सात प्रतिशत से ऊपर रहेगी।
वैश्विक जोखिम अब भी मौजूद
उन्होंने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति और अमेरिका का 50% शुल्क अभी भी जोखिम बना हुआ है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में सड़क, एयरपोर्ट और लॉजिस्टिक ढांचे के विस्तार से सप्लाई पक्ष काफी मजबूत हुआ है।
डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के तेज प्रसार और निजी खपत में निरंतर बढ़ोतरी से भारतीय विकास दर की मजबूती कायम रहने की उम्मीद है।
अनुमान और आर्थिक संकेतक
इससे पहले एचडीएफसी ने चालू वित्त वर्ष की वृद्धि दर 6.8% रहने का अनुमान लगाया था। विशेषज्ञों का मानना है कि 22 सितंबर से लागू हुई जीएसटी कटौती और त्योहारी सीजन में जबरदस्त बिक्री का सकारात्मक प्रभाव तीसरी तिमाही में दिखाई देगा।
आनंद राठी समूह के मुख्य अर्थशास्त्री सुजान हज्रा ने बताया कि मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में तेजी से विस्तार देखा जा रहा है। निजी खपत और निवेश में भी मजबूती आई है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार, कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन आने वाली तिमाहियों में और बेहतर हो सकता है। वर्ष 2025 में गेहूं, दाल, अन्य अनाज, चना और तिलहन की बुवाई 7% से 14% तक अधिक रही है।
किन-किन चीजों में हुई बढ़ोतरी?
दूसरी तिमाही में कृषि की विकास दर पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 3.5% रही। मशीनरी आयात में दहाई अंक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो आने वाले समय में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के विस्तार का संकेत है और इससे रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।
स्टील और सीमेंट के उत्पादन में भी दहाई अंक में बढ़ोतरी देखी गई है। ग्रामीण मांग भी मजबूत दिखाई दे रही है।