यूजीसी की जगह लेगा उच्च शिक्षा आयोग (HECI)
भारत सरकार जल्द ही एक नया कानून लाने वाली है, जिसके जरिए उच्च शिक्षा आयोग (HECI) स्थापित किया जाएगा, जो यूजीसी (UGC) जैसी संस्थाओं की जगह काम करेगा। इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा, जो 1 दिसंबर से शुरू हो रहा है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में HECI की भूमिका
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित उच्च शिक्षा आयोग (HECI) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) का स्थान लेगा। यूजीसी गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा की देखरेख करता है, एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा की, और एनसीटीई शिक्षक शिक्षा की।
HECI की भूमिकाएँ और क्षेत्र
HECI को एकल उच्च शिक्षा नियामक के रूप में स्थापित किया जाएगा। मेडिकल और लॉ कॉलेज इसके दायरे में नहीं आएंगे। HECI की तीन प्रमुख भूमिकाएँ हैं:
- उच्च शिक्षा संस्थानों का विनियमन
- विश्वविद्यालयों को मान्यता और स्वीकृति प्रदान करना
- शैक्षणिक और व्यावसायिक मानक निर्धारित करना
वित्तपोषण और मसौदा इतिहास
वित्तपोषण की स्वायत्तता प्रशासनिक मंत्रालय के पास रहेगी; HECI चौथे चरण के वित्तपोषण को नियंत्रित नहीं करेगा। HECI की अवधारणा पर पहले भी मसौदा विधेयक (Higher Education Commission of India Bill, 2018) चर्चा में रहा, जिसमें यूजीसी अधिनियम को निरस्त करने और HECI की स्थापना का प्रावधान था। इसे 2018 में हितधारकों की प्रतिक्रिया और परामर्श के लिए सार्वजनिक किया गया था।
उच्च शिक्षा में नियामक सुधार के नए प्रयास
जुलाई 2021 में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में HECI को लागू करने के नए प्रयास शुरू किए गए। NEP 2020 में एकल उच्च शिक्षा नियामक की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है, ताकि उच्च शिक्षा क्षेत्र को पुनर्जीवित किया जा सके और इसे फलने-फूलने के लिए सक्षम बनाया जा सके। नई प्रणाली में विनियमन, मान्यता, वित्तपोषण और शैक्षणिक मानक निर्धारण स्वतंत्र और सशक्त निकायों द्वारा किया जाना चाहिए।