वैश्विक अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना कर रही है, लेकिन भारत चमक रहा है
वैश्विक अर्थव्यवस्था कठिन समय से गुजर रही है, जहां प्रमुख देश आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप की नई टैरिफ नीतियों ने महंगाई को बढ़ा दिया है, यूरोप की अर्थव्यवस्था ठहराव की कगार पर है और चीन की विकास दर नीचे गिर रही है। वैश्विक जीडीपी वृद्धि दर 2025 में 2.3% तक गिरने का अनुमान है, जो 2008 की मंदी के बाद का सबसे कमजोर दौर हो सकता है। हालांकि इस तूफान के बीच भारत एक अलग ही रंग दिखा रहा है। भारत की जुलाई-सितंबर तिमाही (Q2 FY26) में जीडीपी वृद्धि 8.2% रही, जो पिछले छह तिमाहियों में सबसे अधिक है, और यह पूर्वानुमानों (7.2%) को भी पीछे छोड़ चुकी है। आइए, इस शानदार वृद्धि की असली वजह समझते हैं।
IMF की रिपोर्ट और वैश्विक आर्थिक अनुमान
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में वैश्विक जीडीपी वृद्धि 3.2% रहने का अनुमान है, जो 2024 के 3.3% से कम है। कारण? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति ने टैरिफ का तांता लगा दिया। उन्होंने भारत और ब्राजील जैसे देशों पर 50% तक टैरिफ लगाया है। इससे अमेरिकी विकास दर 1.8% तक सीमित हो गई है और मंदी की संभावना 40% तक पहुंच गई है।
यूरोप का हाल भी और बुरा है। जर्मनी की अर्थव्यवस्था (-0.2%) ऊर्जा संकट और कमजोर निर्यात के कारण सिकुड़ रही है। चीन की वृद्धि 4% के आसपास ठहर गई है, जो रियल एस्टेट संकट और कमजोर घरेलू मांग से जूझ रही है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) की रिपोर्ट कहती है कि व्यापारिक अनिश्चितता ऐतिहासिक उच्च स्तर पर है, जिससे वैश्विक व्यापार 2025 में 40% गिर सकता है।
भारत की अद्वितीय आर्थिक वृद्धि
वैश्विक मंदी के बावजूद, भारत ने अद्वितीय वृद्धि दिखाई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, Q2 FY26 में रीयल जीडीपी वृद्धि 8.2% रही, जबकि ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) वृद्धि 8.1% रही। यह पिछले छह तिमाहियों में सबसे अधिक वृद्धि है। इससे पहले उच्चतम वृद्धि 8.4% थी, जो FY 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में दर्ज की गई थी। इस वृद्धि ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में बनाए रखा है। इसी दौरान चीन की अर्थव्यवस्था 4.8% बढ़ी है।
भारत की वृद्धि के प्रमुख कारण
ग्रामीण मांग का बढ़ावा
भारत की 40% उपभोग मांग ग्रामीण क्षेत्रों से आती है। 2025 में अच्छी मॉनसून (106% औसत वर्षा) ने कृषि को बढ़ावा दिया, जिससे खाद्यान्न उत्पादन 5% बढ़ा। परिणामस्वरूप, अक्टूबर में ट्रैक्टर बिक्री 11 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई और ग्रामीण दो-पहिया वाहनों की बिक्री 51.8% बढ़ी। न्यूल्सनआईक्यू के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण FMCG बिक्री 12% बढ़ी। यह 'बॉटम-अप' वृद्धि है: यानी किसान अमीर होंगे, तो बाजार भी चमकेंगे।
सरकारी खर्च का इंजन
केंद्र सरकार ने अपने पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) बजट का 24.5% Q1 में ही खर्च किया, जो पिछले साल के 16.3% से दोगुना है। हाईवे, रेलवे और बंदरगाहों पर निवेश ने निर्माण क्षेत्र को 7% वृद्धि दी। IMF कहता है कि इसी इंफ्रास्ट्रक्चर पुश ने नौकरियां पैदा कीं और आय बढ़ाई।
विनिर्माण का उभार
मैन्युफैक्चरिंग PMI अक्टूबर में 59.2 पर पहुंचा, जो 57.5 से ऊपर था। 'मेक इन इंडिया' और PLI योजनाओं ने स्मार्टफोन, ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों को प्रेरित किया। उत्पादन और नए ऑर्डर में तेजी आई, भले ही अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव हो। निर्यात 6.3% बढ़ा।
सेवाओं का डिजिटल जादू
आईटी और कंसल्टिंग निर्यात 10% जीडीपी में योगदान कर रहे हैं। डिजिटल इंडिया ने UPI लेन-देन को 50% बढ़ाया। सेवाओं की वृद्धि दोगुनी (10% से ऊपर) रही, जो वैश्विक मंदी के बावजूद मजबूत बनी।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
विनिर्माण क्षेत्र ने पिछली तिमाही में 9.1% की मजबूत वृद्धि दिखाई, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 2.2% की दर से बढ़ी थी। हालांकि, कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन कमजोर रहा और कृषि उत्पादन 3.5% घट गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 4.1% बढ़ा था।
दूसरी तिमाही में स्थिर कीमतों पर जीडीपी ₹48.63 लाख करोड़ रही और मौजूदा बाजार मूल्य पर जीडीपी ₹85.25 लाख करोड़ रही। पहली छमाही में स्थिर कीमतों पर जीडीपी 8% बढ़कर ₹96.52 लाख करोड़ और मौजूदा बाजार मूल्य पर 8.8% बढ़कर ₹171.30 लाख करोड़ रही।
वृद्धि दर उम्मीदों से अधिक रही
वास्तविक निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE) में 7.9% की वृद्धि हुई। सकल स्थायी पूंजी निर्माण 7.3% बढ़ा। Q2 के जीडीपी आंकड़ों में विभिन्न गणना विधियों के बीच ₹1.62 लाख करोड़ का अंतर था। रेटिंग एजेंसी ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सितंबर तिमाही की वृद्धि दर उम्मीदों से अधिक रही है। इससे दिसंबर 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में दर कटौती की संभावना कम हो गई है।
आर्थिक आंकड़ों की नई पद्धति लागू की जाएगी
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि जीडीपी गणना के लिए 2022-23 को नया आधार वर्ष स्वीकार करने से अर्थव्यवस्था की बेहतर तस्वीर सामने आएगी, हालांकि इससे मौजूदा अनुमानों में थोड़ा विचलन हो सकता है। मंत्रालय ने कहा कि तिमाही जीडीपी के प्रारंभिक अनुमानों में आगे संशोधन किए जाएंगे, क्योंकि नए आधार वर्ष के रूप में 2022-23 को लागू किया जा रहा है।