बीएसएफ बना रहा पहला महिला ड्रोन दस्ता 'दुर्गा'
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अपना पहला महिला ड्रोन दस्ता 'दुर्गा' बना रहा है। महिला अधिकारी और प्रहरि बीएसएफ अकादमी, टेकनपुर के स्कूल ऑफ ड्रोन वारफेयर में छह सप्ताह के उन्नत ड्रोन संचालन प्रशिक्षण में भाग ले रही हैं। अधिकारियों के अनुसार वर्तमान परिस्थितियों में युद्ध बल के बजाय तकनीक से लड़ाई की जा रही है।
प्रशिक्षण में ड्रोन उड़ाने, नियंत्रित करने और निगरानी मिशनों के लिए डेटा एकत्र करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह दस्ता देश की सीमाओं पर ड्रोन संबंधित खतरों से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है। पंजाब से पाकिस्तान सीमा पर तैनात बीएसएफ की महिला अधिकारी जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन हमलों को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इस दस्ते में शामिल हैं।
महिलाओं में धैर्य, सटीकता और दृढ़ता जैसे गुणों को पहचानकर ड्रोन संचालन में उनकी भूमिका को समाहित करने के लिए यह प्रशिक्षण शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य महिला अधिकारियों और प्रहरियों को आधुनिक तकनीक से लैस कर सीमा प्रबंधन और सुरक्षा में उनकी सक्रिय भागीदारी को सशक्त बनाना है।
प्रशिक्षण में सीमा पार से आने वाले ड्रोन खतरों से निपटने के उपाय, इलेक्ट्रॉनिक डिटेक्शन और रिस्पांस सिस्टम की जानकारी भी दी जा रही है। इसके अलावा ड्रोन के माध्यम से खोज-बचाव कार्य और आपदा प्रबंधन में तकनीकी दक्षता विकसित की जा रही है। यह विशेष प्रशिक्षण महिला अधिकारियों की तकनीकी क्षमताओं को निखारने और भविष्य की स्मार्ट सीमा सुरक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाने का माध्यम है। इस पहल की प्रेरणा बीएसएफ के डीजी दलजीत सिंह चौधरी से मिली है।
महिलाओं को हर परिस्थिति में सशक्त बनाना
प्रशिक्षण महिला प्रहरियों को आधुनिक तकनीक, डेटा-आधारित निर्णय क्षमता और आत्मनिर्भरता प्रदान करता है, जिससे वे हर परिस्थिति में तेजी, सटीकता और आत्मविश्वास के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकेंगी। प्रशिक्षण में रियल-टाइम इंटेलिजेंस और डेटा विश्लेषण की भी जानकारी दी जा रही है, जिससे वे आधुनिक सीमा सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम हों।