ग्वालियर में बीएसएफ की पहली महिला दुर्गा ड्रोन स्क्वाड्रन
10 नवंबर को सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में भागीदारी करने वाली बीएसएफ की महिला अफसरों को ग्वालियर की टेकनपुर अकादमी में 6 सप्ताह का ड्रोन कमांडो प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई बहादुरी के चलते इन महिला अफसरों का चयन किया गया है।
महिला जवानों को आधुनिक तकनीक से लैस करने के लिए बीएसएफ ने बड़ी पहल की है। बीएसएफ द्वारा इसके लिए पहले महिला ड्रोन स्क्वाड्रन, जिसे 'दुर्गा ड्रोन स्क्वाड्रन' का नाम दिया गया है, इसकी ट्रेनिंग भी महिला जवानों को दी जा रही है।
सीमा सुरक्षा बल 'बीएसएफ' की महिला जवान, सीमा पार से आने वाले ड्रोन को मार गिराएंगी। यह ट्रेनिंग बल के ग्वालियर स्थित 'स्कूल ऑफ ड्रोन वॉरफेयर' में प्रदान की जा रही है। इस ट्रेनिंग का मकसद महिला जवानों को आधुनिक तकनीक से लैस कर सीमा प्रबंधन और सुरक्षा में उनकी सक्रिय भागीदारी को ज्यादा सशक्त बनाना है।
प्रशिक्षण के दौरान महिला प्रहरियों को ड्रोन उड़ाने, नियंत्रित करने और निगरानी मिशनों के लिए डेटा एकत्रित करने की विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है।
बीएसएफ के अनुसार, डीजी दलजीत चौधरी की प्रेरणा से सीमा सुरक्षा बल के इतिहास में यह एक नया अध्याय जुड़ गया है। वर्तमान समय में युद्ध, बल से नहीं, बल्कि तकनीक से लड़ा जा रहा है। महिलाओं की तीन विशेषताएं, 'धैर्य-सटीकता-दृढ़ता' को पहचान कर ड्रोन संचालित ऑपरेशन में उनकी विशेष भूमिका को समाहित करने के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम, अकादमी के निदेशक डॉ. शमशेर सिंह, आईपीएस, एडीजी के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रारंभ किया गया है।
इस ट्रेनिंग का मकसद प्रशिक्षुओं को सीमा पार से आने वाले ड्रोन खतरों से निपटने के उपाय, इलेक्ट्रॉनिक डिटेक्शन और रेस्पांस सिस्टम की जानकारी देना है। ड्रोन के माध्यम से खोज-बचाव कार्यों और आपदा परिस्थितियों में सहायता के लिए तकनीकी दक्षता विकसित की जा रही है।
यह विशेष ड्रोन प्रशिक्षण न केवल महिला प्रहरियों की तकनीकी क्षमताओं को निखारने का माध्यम है, बल्कि उन्हें भविष्य की स्मार्ट सीमा सुरक्षा प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बनने की दिशा में अग्रसर करता है। इस ट्रेनिंग से महिला स्क्वाड्रन आधुनिक तकनीक, डेटा आधारित निर्णय क्षमता और आत्मनिर्भरता के उस स्तर तक पहुंच रही है, जहां वे हर परिस्थिति में तेजी, सटीकता और आत्मविश्वास के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकेंगी।
ड्रोन तकनीक से महिला जवान अब सीमाओं की निगरानी को अधिक सटीक, तीव्र और व्यापक बना सकेंगी। ट्रेनिंग से महिला स्क्वाड्रन रियल टाइम इंटेलिजेंस, डेटा विश्लेषण और निर्णय क्षमता में दक्ष होगी, जिससे सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी।
यह पहल महिला प्रहरियों को आधुनिक तकनीकी दक्षता, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता से सशक्त बनाकर सीमा प्रबंधन में नई मिसाल स्थापित करेगी। सीमा सुरक्षा बल अकादमी ग्वालियर का 'स्कूल ऑफ ड्रोन वॉरफेयर', वर्तमान में देशभर के बीएसएफ कर्मियों को ड्रोन कमांडो कोर्स, ड्रोन वॉरियर कोर्स तथा ड्रोन ओरिएंटेशन कोर्स जैसी विशिष्ट प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान कर रहा है।