चंद्रयान-2 मिशन के आर्बिटर से मिल रहा उन्नत डेटा
चंद्रयान-2 के आर्बिटर ने चंद्रमा से संबंधित महत्वपूर्ण डेटा भेजा है, जिससे वैज्ञानिकों को चंद्रमा की सतह, बर्फ और मिट्टी की विशेषताओं के बारे में जानकारी मिलेगी। इसरो ने बताया कि यह डेटा चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों को समझने में उपयोगी है। अहमदाबाद स्थित इसरो केंद्र के वैज्ञानिकों ने रडार मानचित्र तैयार किया है, जिससे पानी-बर्फ की मौजूदगी का पता चला है। यह भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है।
चंद्रयान-2 का आर्बिटर 2019 से लगातार चांद की परिक्रमा कर रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 8 नवंबर को घोषणा की कि आर्बिटर से उन्नत डेटा प्राप्त हुआ है, जो वैज्ञानिक शोध को और गहराई देता है।
इस डेटा से वैज्ञानिकों को चंद्र सतह की बनावट, बर्फ की उपस्थिति, मिट्टी के भौतिक गुण और ध्रुवीय क्षेत्रों की संरचना के बारे में जानकारी मिलेगी। इसरो ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि यह डेटा चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है।
उच्च गुणवत्ता वाला रडार डेटा
प्राप्त डेटा में चंद्रमा की सतह के भौतिक और परावैद्युत गुणों से संबंधित महत्वपूर्ण माप शामिल हैं। आर्बिटर का दोहरे आवृत्ति वाला सिंथेटिक एपर्चर रडार (DFSAR) उच्च गुणवत्ता वाला वैज्ञानिक डेटा भेज रहा है, जो चंद्र अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
कैसे रिसीव करता है सिग्नल?
अहमदाबाद स्थित इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC) के वैज्ञानिकों ने इस डेटा का उपयोग करके 25 मीटर प्रति पिक्सेल के उच्च-रिज़ॉल्यूशन पर चंद्रमा का पहला पूर्ण-ध्रुवमितीय (पोलारिमेट्रिक) L-बैंड रडार मानचित्र तैयार किया है। यह रडार तकनीक ऊर्ध्व (वर्टिकल) और क्षैतिज (हॉरिज़ॉन्टल) दोनों प्रकार के सिग्नल भेजने और प्राप्त करने में सक्षम है।
इन डेटा के आधार पर वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों, पानी-बर्फ की संभावित मौजूदगी, घनत्व और मिट्टी की संरचना से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की हैं। इसरो टीम ने विशेष एल्गोरिदम और डेटा प्रोसेसिंग सिस्टम भी विकसित किया है ताकि इस उन्नत रडार डेटा का विस्तृत विश्लेषण किया जा सके।