देश के 5.67 लाख गाँव ओडीएफ प्लस घोषित
देश के लगभग 5.67 लाख गांवों को 'ओडीएफ प्लस' घोषित किया गया है। यह संख्या साल 2022 के करीब एक लाख गांवों के मुकाबले लगभग 467 प्रतिशत अधिक है। जल शक्ति मंत्रालय द्वारा 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में लगभग 4.86 लाख गांवों ने 'ओडीएफ प्लस मॉडल' चरण को प्राप्त किया है। इसका अर्थ है कि ये गांव ठोस और तरल अपशिष्ट का प्रबंधन करते हुए तथा स्वच्छता बनाए रखते हुए खुले में शौच से मुक्त स्थिति को बनाए रखे हुए हैं। जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि यह परिवर्तन राष्ट्रव्यापी भागीदारी और सरकार के निरंतर समर्थन को दर्शाता है।
5.67 लाख गांव 'ओडीएफ प्लस' घोषित
पाटिल ने एक कार्यक्रम में कहा, “इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकारों की थी और केंद्र ने ग्रामीण और शहरी भारत में 12 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके इसमें सहायता की।” उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर शौचालयों की उपलब्धता से व्यवहार में बदलाव आया है। दिसंबर 2022 में ओडीएफ प्लस गांवों की संख्या लगभग एक लाख थी, जो अब बढ़कर 5.67 लाख हो गई है।
'ओडीएफ प्लस मॉडल' गांवों की संख्या बढ़कर 4,85,818 हो गई है। पाटिल ने कहा कि करोड़ों लोग पहले खुले में शौच करते थे, लेकिन अब उन्होंने ऐसा करना बंद कर दिया है। पूरी दुनिया में 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस मनाया जाता है, जो सुरक्षित और टिकाऊ स्वच्छता की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
आंकड़ों के अनुसार, शहरी स्वच्छता भी लक्ष्य से अधिक हो गई है। 63.7 लाख से अधिक घरेलू शौचालयों का निर्माण हो चुका है, जो मिशन लक्ष्य का 108 प्रतिशत है। सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालयों का निर्माण लक्ष्य से 125 प्रतिशत अधिक है।
पाटिल का दावा—स्वच्छता ने लगभग तीन लाख बच्चों की जान बचाई
केंद्रीय मंत्री पाटिल ने स्वच्छ भारत मिशन को स्वच्छता को जन आंदोलन में बदलने का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि बेहतर स्वच्छता से बच्चों की सुरक्षा भी बढ़ी है। पाटिल ने दावा किया, “स्वच्छता ने लगभग 3,00,000 बच्चों की जान बचाई है।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार स्वच्छता संबंधी ढांचे के रखरखाव के लिए धन मुहैया कराती रहेगी।