उत्तराखंड बादल फटने की आपदा: 100 से अधिक लापता, 4 की मौत
5 अगस्त 2023 को उत्तराखंड के धराली गांव में गंगोत्री के पास बादल फटने के कारण भारी तबाही मच गई। बादल फटने के बाद भूस्खलन ने और भी ज्यादा नुकसान किया। अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से अधिक लोग लापता हैं। यह घटना दोपहर करीब 1:45 बजे हुई, जब बादल फटने के बाद पहाड़ से मलबा आकर गांव में बाढ़ का रूप ले आया।
अभी तक चल रहे बचाव कार्यों में 130 से अधिक लोगों को बचाया जा चुका है। SDRF, NDRF, ITBP और सेना की टीमें लगातार बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। 6 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की, जिसके बाद धामी ने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों के साथ बचाव कार्यों को लेकर बैठक की।
धराली गांव के बाजार, मकान और होटल बह गए। खीर गंगा नदी में पहाड़ों से बहकर आए मलबे ने सिर्फ 34 सेकंड में पूरी तबाही मचाई। इस आपदा में कई सेना के जवान भी लापता हो गए हैं, जिनमें से 8-10 जवान हर्षिल क्षेत्र से लापता हैं।
धराली गांव जो ट्रांस हिमालय क्षेत्र में स्थित है, वहां पहले भी ऐसे हादसे हो चुके हैं। 1864, 2013 और 2014 में भी बादल फटने के कारण खीर नाले से बाढ़ आई थी और गांव को भारी नुकसान हुआ था। भूगर्भ वैज्ञानिकों ने राज्य सरकार को चेतावनी दी थी कि धराली को कहीं और बसाया जाए, लेकिन राज्य सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया और धराली को आज भी खतरे में रखा गया।
वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एस.पी. सती बताते हैं कि धराली एक भूगर्भीय दरार पर स्थित है, जो इसे भूकंप और बाढ़ के लिए अत्यधिक संवेदनशील बनाती है। खीर गंगा नदी जहां से निकलती है, वह 6000 मीटर ऊंचा पहाड़ है, और जब भी वहां से मलबा बहता है, धराली पूरी तरह से बर्बाद हो जाता है। छह महीने पहले भी एक पहाड़ी का हिस्सा खीर नदी में गिरा था, लेकिन वह फंस गया था। संभवतः अब वही हिस्सा टूटकर नीचे आया है।
इस आपदा में 1500 साल पुराना कल्प केदार महादेव मंदिर भी मलबे में दफन हो गया। यह मंदिर भागीरथी नदी के किनारे स्थित था और पंच केदार परंपरा से जुड़ा हुआ था। यह स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल था और अब इसका नुकसान सभी के लिए एक गहरी क्षति है।