यूडीआईएसई+ रिपोर्ट 2024-25: भारत में शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ पार, छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार


यूडीआईएसई+ रिपोर्ट 2024-25: भारत में शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ पार, छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार

यूडीआईएसई+ रिपोर्ट 2024-25: भारत में शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ पार

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के यूनिफाइड डिस्टि्रक्ट इंफोर्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन (यूडीआईएसई) प्लस की रिपोर्ट में बताया गया है कि किसी भी शैक्षणिक वर्ष में पहली बार शिक्षकों की संख्या एक करोड़ से अधिक हो गई है। यह वृद्धि छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा आज भी चुनौती

हालांकि शिक्षकों की संख्या बढ़ी है, लेकिन भारत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना आज भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। देश में आज भी हजारों स्कूल ऐसे हैं जहां एक ही शिक्षक सभी कक्षाओं और विषयों को पढ़ाते हैं।

भारत में शिक्षकों की संख्या कई देशों की जनसंख्या से अधिक

वल्र्डोमीटर के अनुसार, दुनिया के 233 देशों में से केवल 88 देशों की जनसंख्या एक करोड़ से अधिक है। भारत के शिक्षकों की संख्या उन सभी देशों की जनसंख्या से अधिक है जिनकी आबादी एक करोड़ से कम है।

क्या है यूडीआईएसई प्लस?

यूडीआईएसई प्लस एक डाटा संग्रहण प्रणाली है जिसे शिक्षा मंत्रालय संचालित करता है। यह देशभर के स्कूलों से संबंधित आंकड़े एकत्र कर उनका विश्लेषण करता है।

छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार

राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा सुझाए गए 1:30 मानक की तुलना में विभिन्न स्तरों पर अनुपात बेहतर रहा है:

  • आधारभूत स्तर: 1:10
  • प्रारंभिक स्तर: 1:13
  • मध्यम स्तर: 1:17
  • माध्यमिक स्तर: 1:21

इससे शिक्षकों को छात्रों पर अधिक व्यक्तिगत ध्यान देने और बेहतर संवाद के अवसर मिलते हैं।

ड्रॉपआउट दर में कमी

शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में स्कूल छोड़ने की दर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। यह छात्रों को स्कूल में बनाए रखने के लिए किए गए प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।

रिटेंशन दर में सुधार

2024-25 में स्कूलों में छात्रों की बने रहने की दर (Retention Rate) में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। माध्यमिक स्तर पर विशेष रूप से इसका मुख्य कारण माध्यमिक शिक्षा की बढ़ती पहुंच है।

शून्य नामांकन और एकल शिक्षक स्कूलों में कमी

रिपोर्ट के अनुसार शून्य नामांकन और एकल शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या में गिरावट आई है। शून्य नामांकन वाले स्कूलों में लगभग 38% और एकल शिक्षक स्कूलों में करीब 6% की कमी दर्ज की गई है।




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