ट्रंप प्रशासन ने शरणार्थियों के प्रवेश की सीमा 7500 निर्धारित की
ट्रंप प्रशासन अमेरिका में अब शरणार्थियों की प्रवेश संख्या घटाकर 7,500 करने जा रहा है। डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद इल्हान उमर ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा, "यह अमेरिका को 'केवल श्वेत' क्लब बना रहा है। यह न केवल शरणार्थियों के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून का भी।"
फैसले का विवरण
सांता मारिया टाइम्स के अनुसार, नई नीति में दक्षिण अफ्रीका के श्वेत लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। वित्तीय वर्ष 2026 के लिए शरणार्थी प्रवेश सीमा ऐतिहासिक रूप से न्यूनतम है और यह अमेरिकी इतिहास में सबसे कम संख्या होगी। इस निर्णय के बाद मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी दलों में व्यापक आक्रोश फैला है। आलोचकों का कहना है कि यह कदम अमेरिकी शरणार्थी कार्यक्रम को नस्लीय आधार पर बदलने का प्रयास है।
स्टेट डिपार्टमेंट का बयान
स्टेट डिपार्टमेंट ने कहा कि नई सीमा के तहत अधिकांश शरणार्थी दक्षिण अफ्रीका के श्वेत किसानों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों से लिए जाएंगे, जो कथित रूप से भूमि जब्ती और हिंसा का शिकार हैं। यह फैसला फरवरी 2025 में शुरू की गई "मिशन साउथ अफ्रीका" पहल का विस्तार है, जिसका उद्देश्य अंग्रेजी भाषी श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों को प्राथमिकता देना है।
अमेरिका 6,000 अफ्रीकियों को पुनर्वासित करेगा
अमेरिका के होम डिपार्टमेंट ने नवंबर के अंत तक 6,000 श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों को पुनर्वासित करने का लक्ष्य रखा है। ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक एकीकरण को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। दक्षिण अफ्रीका के श्वेत समुदाय अमेरिकी मूल्यों के अनुरूप हैं और जल्दी से समाज में घुलमिल सकते हैं।" हालांकि, मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने इसे नस्लीय प्रक्रिया करार दिया।
पूर्व शरणार्थी सीमा
ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017-2021) में शरणार्थी सीमा को 1,10,000 से घटाकर 15,000 कर दिया गया था। अब 7,500 की नई सीमा इससे 50% कम है। यह कदम वैश्विक शरणार्थी संकट के बीच आया है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 2025 में 1.2 करोड़ से अधिक लोग बेघर हो चुके हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस सीमा के तहत केवल 5,000–6,000 शरणार्थी ही प्रवेश कर पाएंगे, जिनमें से 80% दक्षिण अफ्रीका के श्वेत निवासी होंगे।