तमिलनाडु के तीन गांवों ने मनाई साइलेंट दिवाली
तमिलनाडु के वेलोड पक्षी विहार के आसपास स्थित लगभग आठ गांवों में पिछले 17 वर्षों से दिवाली पर पटाखे नहीं जलाए जाते हैं। यहां के लोग दिवाली के शोरगुल से प्रवासी पक्षियों को बचाने के लिए यह अनोखी पहल कर रहे हैं।
इन आठ गांवों में लगभग 750 परिवार रहते हैं। वर्ष 1996 में 80 हेक्टेयर भूमि में इस पक्षी विहार की स्थापना की गई थी। हर साल सितंबर से दिसंबर के बीच हजारों पक्षी यहां आते हैं, खासकर ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड से।
स्थानीय लोग इस बात को लेकर सतर्क हैं कि तेज आवाज़ वाले पटाखों से पक्षी डरकर यहां आना बंद न कर दें। इसलिए सामूहिक रूप से निर्णय लेकर उन्होंने पटाखे जलाना पूरी तरह बंद कर दिया है।
73 वर्षीय ग्रामीण चिन्नासामी ने बताया कि पक्षी विहार बनने के कुछ वर्षों बाद ही लोगों ने पटाखे नहीं जलाने का फैसला कर लिया था। उन्होंने कहा, "यहां के लोग पक्षियों का बहुत ध्यान रखते हैं। दो साल पहले तक तो गांव में फुलझड़ी भी नहीं जलती थी। अब कुछ बच्चे इसे जलाते हैं, लेकिन पटाखे आज भी नहीं फोड़े जाते।"
ये प्रवासी पक्षी यहां दो-तीन महीने रहते हैं, घोंसले बनाते हैं, अंडे देते हैं और फिर अपने बच्चों के साथ वापस उड़ जाते हैं। यह परंपरा केवल त्योहार मनाने की नहीं, बल्कि प्राकृतिक जीवन और जैव विविधता की रक्षा की मिसाल है।