सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर लगाई रोक
कुछ महीने पहले संसद के बजट सत्र में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पेश किया गया था, जिसे लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध देखने को मिला। दोनों सदनों में बहुमत से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से यह कानून बन गया।
अब इस कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली दो जजों की बेंच ने कुल 5 याचिकाओं पर सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और राजीव धवन ने पक्ष रखा, जबकि सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अदालत में उपस्थित थे।
‘वक्फ बाय यूजर’ पर कोई फैसला नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने 'वक्फ बाय यूजर' से संबंधित किसी प्रावधान पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं दिया है। पहले के कानून में यह प्रावधान था कि यदि वक्फ का किसी संपत्ति पर लंबे समय से कब्जा हो, तो वह वक्फ संपत्ति मानी जाएगी, चाहे उसके दस्तावेज हों या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख निर्देश:
1. वक्फ बोर्ड का सदस्य कौन बन सकता है?
- पहले: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 में प्रावधान था कि केवल वही व्यक्ति सदस्य बन सकता है जो पिछले 5 वर्षों से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो।
- अब: सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर रोक लगाई है। जब तक राज्य सरकारें इस संबंध में नियम नहीं बना लेतीं, यह शर्त लागू नहीं होगी।
2. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य कितने हो सकते हैं?
- पहले: संशोधन के अनुसार, वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में गैर-मुस्लिम भी हो सकते थे।
- अब: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते। वहीं केंद्रीय वक्फ परिषद में अधिकतम 4 गैर-मुस्लिम सदस्य ही हो सकते हैं। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि संभव हो तो बोर्ड का CEO मुस्लिम ही होना चाहिए।
3. कलेक्टर के अधिकारों पर टिप्पणी
- पहले: संशोधन के अनुसार, वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जा की गई संपत्ति सरकारी है या नहीं, यह निर्णय जिला कलेक्टर ले सकता था।
- अब: सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर रोक लगाते हुए कहा कि कलेक्टर को नागरिकों की निजी संपत्ति से जुड़े अधिकारों पर निर्णय लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन होगा।
वक्फ कानून की पृष्ठभूमि
वक्फ (संशोधन) बिल 2025 को बजट सत्र के दौरान लोकसभा में 288 और राज्यसभा में 232 सांसदों के समर्थन से पारित किया गया था। 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंजूरी दी थी।
इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुईं। कोर्ट ने फिलहाल कानून को पूरी तरह रद्द नहीं किया है, लेकिन इसके कुछ विवादित प्रावधानों पर रोक जरूर लगा दी है।
स्थिति: कानून अभी भी लागू है, लेकिन कुछ प्रमुख प्रावधान स्थगित किए गए हैं।