सेना की शीर्ष नौकरियों में महिलाओं के लिए सीमा असंवैधानिक
11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना की जज एडवोकेट जनरल (JAG) ब्रांच में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग सीटें आरक्षित करने की नीति को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने साफ कहा कि लैंगिक तटस्थता का मतलब यह है कि सभी योग्य उम्मीदवारों का चयन केवल योग्यता के आधार पर होना चाहिए, न कि लिंग के आधार पर।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, “कार्यपालिका पुरुषों के लिए सीटें आरक्षित नहीं कर सकती। पुरुषों के लिए 6 और महिलाओं के लिए 3 सीटें तय करना मनमाना है और भर्ती की आड़ में इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।”
यह फैसला दो महिला याचिकाकर्ताओं की उस याचिका पर आया, जिसमें JAG में पुरुष और महिला उम्मीदवारों के लिए अलग वेकैंसीज़ को चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि सेना की यह नीति समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है और महिलाओं के अवसरों को अनावश्यक रूप से सीमित करती है।