7 साल के अनुभव वाले अधिकारी सीधे बन सकेंगे जिला जज: सुप्रीम कोर्ट
9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में अधीनस्थ न्यायिक सेवा (जैसे कि सिविल जज जूनियर डिवीजन, मुंसिफ मजिस्ट्रेट आदि) के अधिकारियों के लिए जिला जज की सीधी भर्ती का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला दिया कि जिन अधिकारियों के पास वकील और न्यायिक अधिकारी के रूप में कम से कम सात वर्ष का संयुक्त अनुभव है, वे जिला जज के पद पर सीधी भर्ती के लिए पात्र हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने न्यूनतम आयु की शर्त भी तय की है — आवेदन की तिथि पर उम्मीदवार की आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए। यह फैसला उन न्यायिक अधिकारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जिन्होंने सेवा में आने से पहले वकालत की थी।
यह निर्णय संविधान पीठ द्वारा चार कानूनी प्रश्नों पर विचार करने के बाद आया है। फैसले का मसौदा जस्टिस बी.आर. गवई ने तैयार किया और अन्य न्यायाधीश — जस्टिस एम.एम. सुंद्रेश, जस्टिस अरविंद कुमार, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस के. विनोद चंद्रन — ने भी सहमति दी।
इस ऐतिहासिक निर्णय का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे अधीनस्थ न्यायिक सेवा के प्रतिभाशाली अधिकारियों को सीधे जिला जज बनने का अवसर मिलेगा।