रुपया गिरा 45 पैसे, डॉलर के मुकाबले नए निचले स्तर पर
23 सितंबर को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 23 सितंबर को डॉलर के मुकाबले 45 पैसे लुढ़ककर 88.73 के अपने अबतक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। अमेरिका के H1B वीजा शुल्क में भारी वृद्धि के कारण भारतीय आईटी सेवाओं का निर्यात गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार पूंजी निकासी के बीच रुपये पर दबाव कायम है।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि रुपया रिकॉर्ड निम्न स्तर पर आ गया। इसका कारण बाजार नए H1B वीजा शुल्क को बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर करना है जिससे धन प्रेषण में वृद्धि की गति धीमी हो सकती है और अमेरिका को सेवा निर्यात में भारी कमी आ सकती है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा घरेलू बाजारों में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति से भी रुपये पर दबाव पड़ सकता है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 88.41 प्रति डॉलर पर खुला। बाद में फिसलकर यह दिन के सबसे निचले स्तर 88.82 प्रति डॉलर तक लुढ़कने के बाद अंत में 88.73 प्रति डॉलर के अबतक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से 45 पैसे की जोरदार गिरावट है।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.06 प्रतिशत की गिरावट के साथ 97.28 पर आ गया।
घरेलू शेयर बाजार में सेंसेक्स 57.87 अंक की गिरावट के साथ 82,102.10 अंक पर जबकि निफ्टी 32.85 अंक फिसलकर 25,169.50 अंक पर बंद हुआ।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.41 प्रतिशत की बढ़त के साथ 66.84 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने मंगलवार को शुद्ध रूप से 3,551.19 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि भारतीय वस्तुओं पर बढ़े हुए अमेरिकी शुल्क जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुसंधान विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा कि रुपये में लगातार गिरावट आ रही है। यह एशियाई मुद्राओं में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है।