दरार बढ़ी: रतन टाटा के करीबी मेहली मिस्त्री टाटा ट्रस्ट्स से बाहर
रतन टाटा के करीबी रहे मेहली मिस्त्री को सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) और सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) के बोर्ड से हटा दिया गया है। तीन ट्रस्टी — नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह — ने उनकी पुनर्नियुक्ति के खिलाफ वोट दिया।
तीन अन्य ट्रस्टी — प्रमीत झावेरी, डेरियस खंबाटा और जहांगीर एच.सी. जहांगीर — मेहली के पक्ष में थे, जबकि रतन टाटा के भाई जिमी टाटा ने वोटिंग से किनारा कर लिया। चूंकि यह रेजोल्यूशन मेहली से संबंधित था, उन्होंने खुद वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
चार ट्रस्टी — नोएल टाटा, श्रीनिवासन, सिंह और खंबाटा — दोनों SDTT और SRTT में हैं। प्रमीत झावेरी SDTT में, जबकि जहांगीर जहांगीर और जिमी टाटा SRTT में हैं।
ट्रस्टी की नियुक्ति या हटाने के लिए सर्वसम्मति जरूरी
टाटा ट्रस्ट्स के दो प्रमुख चैरिटेबल ट्रस्ट — SDTT और SRTT — अलग-अलग वोटिंग सिस्टम पर चलते हैं। ट्रस्ट डीड के मुताबिक SDTT में साधारण बहुमत काफी है, जबकि SRTT में सभी की सहमति आवश्यक है।
ट्रस्टी की नियुक्ति या हटाने के लिए हर हाल में सभी सदस्यों की सहमति जरूरी है। इन्हीं नियमों के अनुसार मेहली मिस्त्री का तीन साल का कार्यकाल मंगलवार को समाप्त हो गया।
टाटा ट्रस्ट्स का टाटा संस में बड़ा नियंत्रण
सर रतन टाटा ट्रस्ट समेत टाटा ट्रस्ट्स के पास टाटा संस में 66% हिस्सेदारी है। टाटा संस ही टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी है, जिसके अंतर्गत TCS, टाटा स्टील और टाटा मोटर्स जैसी प्रमुख कंपनियां आती हैं।
मेहली मिस्त्री 2022 से SDTT और SRTT दोनों ट्रस्ट्स में ट्रस्टी रहे हैं। दोनों मिलकर टाटा संस में 51% हिस्सेदारी रखते हैं और कंपनी के बोर्ड में एक-तिहाई सदस्यों को नामित करने का अधिकार रखते हैं।
विजय सिंह को बोर्ड से हटाने से शुरू हुआ विवाद
रतन टाटा के निधन के बाद अक्टूबर 2024 में उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन बनाया गया। नवंबर 2024 में उन्हें टाटा संस के बोर्ड में भी शामिल किया गया, हालांकि यह फैसला सभी ट्रस्टीज की सहमति से नहीं था।
इससे टाटा ट्रस्ट्स के भीतर दो गुट बन गए — एक नोएल टाटा के समर्थन में और दूसरा मेहली मिस्त्री के साथ। मिस्त्री का संबंध शापूरजी पलोनजी ग्रुप से है, जिसकी टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी है।
रतन टाटा के निधन के लगभग एक साल बाद ट्रस्टीज ने बहुमत से पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड से हटा दिया। इस फैसले ने देशभर में टाटा ट्रस्ट्स की आंतरिक कलह को उजागर कर दिया और सरकार को बीच में आना पड़ा।
सरकार की मध्यस्थता और कानूनी सलाह
7 अक्टूबर को टाटा समूह के वरिष्ठ नेताओं की गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर 45 मिनट की बैठक हुई। रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार ने ट्रस्ट्स को कहा कि वे अपने आंतरिक मतभेद जल्द सुलझाएं ताकि टाटा संस के संचालन पर असर न पड़े।
पिछले हफ्ते मिस्त्री ने वेणु श्रीनिवासन की SDTT में ट्रस्टी और वाइस चेयरमैन के रूप में बहाली को शर्त के साथ मंजूरी दी थी। उन्होंने ईमेल में लिखा था कि अगर भविष्य में अन्य ट्रस्टीज के लिए समान सर्वसम्मति से रेजोल्यूशन नहीं लाया गया, तो वे श्रीनिवासन की बहाली को मंजूरी नहीं देंगे।
अब अंदरूनी तौर पर चर्चा चल रही है कि मिस्त्री अपनी मंजूरी वापस लेंगे या कोर्ट में चुनौती देंगे। रिपोर्ट्स के अनुसार नोएल टाटा, श्रीनिवासन और विजय सिंह ने इस पर कानूनी सलाह ली है। हालांकि एक ट्रस्टी का कहना है कि शर्त वाली मंजूरी कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं होती।
टाटा संस बोर्ड पर असर और नया समीकरण
मेहली मिस्त्री का जाना टाटा संस बोर्ड में नई नियुक्तियों का रास्ता खोलेगा, जिससे संभवतः नोएल टाटा गुट को फायदा मिलेगा। यह टाटा ट्रस्ट्स की एकता पर सवाल उठाता है और शापूरजी पलोनजी ग्रुप के साथ पुराना विवाद फिर से भड़क सकता है।
मेहली मिस्त्री एम. पलोनजी ग्रुप के प्रमोटर हैं, जिनका व्यवसाय औद्योगिक पेंटिंग, शिपिंग, ड्रेजिंग और ऑटोमोबाइल डीलरशिप तक फैला हुआ है। उनकी कंपनी स्टर्लिंग मोटर्स टाटा मोटर्स की डीलर है। मिस्त्री, शापूरजी मिस्त्री और दिवंगत साइरस मिस्त्री के चचेरे भाई हैं।



