आरबीआई ने 6.5% जीडीपी वृद्धि अनुमान बरकरार रखा, महंगाई 3.1% अनुमानित
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 6 अगस्त को चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। साथ ही, मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 3.1 प्रतिशत कर दिया गया, जो पहले 3.7 प्रतिशत था।
तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति के फैसलों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि सामान्य से बेहतर मानसून, घटती मुद्रास्फीति, बढ़ता उत्पादन क्षमता उपयोग और अनुकूल वित्तीय परिस्थितियां देश की आर्थिक गतिविधियों को सहयोग दे रही हैं। इसके अलावा सरकार के मजबूत पूंजीगत खर्च और मौद्रिक, राजकोषीय व नियामकीय नीतियों से मांग में तेजी की उम्मीद है।
मल्होत्रा ने कहा कि निर्माण और व्यापार में निरंतर वृद्धि से सेवा क्षेत्र की गति बनी रहेगी। उन्होंने कहा, "वृद्धि दर मजबूत है और अनुमानों के अनुसार बनी हुई है, हालांकि यह हमारी आकांक्षाओं से थोड़ी कम है। टैरिफ की अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। मौद्रिक नीति का लाभ अब भी मिल रहा है। फरवरी 2025 से रेपो दर में 1% कटौती का असर अब भी जारी है।"
उन्होंने बताया कि घरेलू वृद्धि दर स्थिर है और मोटे तौर पर पूर्वानुमानों के अनुरूप है। हालांकि, मई-जून के दौरान जीएसटी संग्रह, निर्यात और बिजली की खपत जैसे संकेतकों ने मिश्रित संकेत दिए। ग्रामीण उपभोग में स्थिरता है जबकि शहरी खपत में विशेषकर विवेकाधीन खर्च में सुधार देखा गया है।
गवर्नर ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक अनिश्चितताएं और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों की अस्थिरता, वृद्धि के परिदृश्य के लिए जोखिम पैदा कर रही हैं। आरबीआई के अनुसार, 2025-26 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5% रहेगी। तिमाही अनुमान इस प्रकार हैं: पहली तिमाही – 6.5%, दूसरी – 6.7%, तीसरी – 6.6%, और चौथी – 6.3%। जबकि 2026-27 की पहली तिमाही के लिए यह 6.6% रहने का अनुमान है।
मुद्रास्फीति पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई जून में घटकर 77 महीनों के निचले स्तर 2.1% पर आ गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट है। उन्होंने कहा कि "मौजूदा अनुमान जून में अपेक्षा से अधिक अनुकूल रहे हैं।"
आरबीआई ने 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 3.1% रहने का अनुमान जताया है। तिमाही अनुमान: दूसरी तिमाही – 2.1%, तीसरी – 3.1% और चौथी – 4.4%। वहीं 2026-27 की पहली तिमाही के लिए मुद्रास्फीति 4.9% रहने की संभावना है। जोखिम दोनों ओर संतुलित हैं।
अंत में गवर्नर ने कहा कि जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक मंच पर अपनी जगह बना रही है, केवल मौद्रिक नीति नहीं, बल्कि सभी क्षेत्रों में सशक्त नीतिगत ढांचे इस दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।