देश में जन्म के समय लिंगानुपात में सकारात्मक सुधार
केंद्र सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना से देश में जन्म के समय लिंगानुपात (Sex Ratio at Birth - SRB) में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। नमूना पंजीकरण प्रणाली रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 2016-18 के दौरान जहां यह अनुपात प्रति 1,000 लड़कों पर 819 लड़कियों का था, वहीं 2021-23 में यह बढ़कर 917 हो गया है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव एवं मिशन निदेशक आराधना पटनायक ने बताया कि यह सुधार गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन निषेध) अधिनियम, 1994 (PCPNDT) के सशक्त क्रियान्वयन से संभव हुआ है।
उन्होंने कहा कि यह अधिनियम लिंग-भेदभावपूर्ण लिंग चयन के खिलाफ एक नैतिक सुरक्षा प्रदान करता है। 7 अक्टूबर को आयोजित एक बैठक में उन्होंने पिछले एक दशक में लिंगानुपात में आई प्रगति पर प्रकाश डाला।
प्रमुख बिंदु:
- 2016-18 के दौरान प्रति 1,000 लड़कों पर 819 लड़कियां थीं, जो 2021-23 में बढ़कर 917 हो गईं।
- 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना ने समाज में बेटियों के प्रति दृष्टिकोण को बदला है।
- PCPNDT अधिनियम के कड़ाई से पालन से लिंग चयन जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगी है।
- डिजिटल माध्यमों जैसे C-Vigil ऐप के माध्यम से निगरानी प्रणाली में सुधार हुआ है।
आराधना पटनायक का बयान:
“देश ने जन्म के समय लिंगानुपात में सकारात्मक सुधार दर्ज किया है। SRS रिपोर्ट 2023 के अनुसार, लिंगानुपात में 18 अंकों की वृद्धि हुई है - 2016-18 में 819 से बढ़कर 2021-23 में 917। यह PCPNDT अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन का परिणाम है।”
भविष्य की दिशा:
उन्होंने यह भी कहा कि समाज का ध्यान बच्चे के लिंग की बजाय उसके स्वस्थ जन्म पर होना चाहिए। बैठक में PCPNDT अधिनियम के बेहतर क्रियान्वयन, कानून की भावना को बनाए रखने और नई तकनीकों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त निगरानी और डिजिटल माध्यमों की सक्रिय भागीदारी पर बल दिया गया।



