भारत में 2034 तक 'एक देश, एक चुनाव' प्रणाली लागू होगी


भारत में 2034 तक 'एक देश, एक चुनाव' प्रणाली लागू होगी

भारत में 2034 तक 'एक देश, एक चुनाव' प्रणाली लागू होगी

1 मार्च को भारत में चुनाव प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने 2029 तक 'एक देश, एक चुनाव' की दिशा में कदम उठाने की योजना बनाई है, लेकिन इस प्रस्ताव को पूरी तरह से लागू करने के लिए 2034 तक का समय लिया जाएगा। इस प्रस्ताव के तहत 2034 में देशभर में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। सरकार ने इस बदलाव के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया है, जिसमें जन जागरूकता अभियानों और अन्य पहलुओं पर जोर दिया जाएगा।

'एक देश, एक चुनाव' का उद्देश्य क्या है?

'एक देश, एक चुनाव' का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सरल और सस्ता बनाना है। इससे प्रशासनिक लागत में कमी आएगी और चुनावी प्रक्रिया में होने वाली बार-बार की खपत भी खत्म होगी। इसके साथ ही, चुनावों की बार-बार होने वाली खिचकन को दूर किया जा सकेगा। इससे जनता के बीच चुनावी सक्रियता भी बढ़ सकती है, साथ ही मतदान प्रतिशत भी अधिक हो सकता है।

यह कैसे कार्यान्वित होगा?

केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव पर काम शुरू कर दिया है और इसके लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। 2029 के बाद, सरकार इस मुद्दे पर एक जन जागरूकता अभियान चलाएगी, जिसमें सामाजिक संगठनों, एनजीओ और प्रबुद्ध वर्ग को जोड़ने के लिए कई पहल की जाएंगी। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स बनाई गई है, जो इसके लिए काम करेगी। इसके अलावा, 17 स्लाइड्स का एक पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन तैयार किया गया है, जिसे जनता तक पहुँचाया जाएगा।

इस बदलाव से न केवल प्रशासनिक खर्चों में कमी आएगी, बल्कि शासन में सुधार भी देखा जा सकता है। अन्य देशों के उदाहरणों से यह साबित हुआ है कि एक साथ चुनाव कराने से स्थिरता और बेहतर समन्वय की स्थिति बनती है। इसके साथ ही, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच नीति बनाने में भी अधिक समन्वय होगा।

लोकसभा और विधानसभा चुनावों का समीकरण

2034 में, लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे। आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसी कुछ विधानसभाओं के चुनाव 2029 में लोकसभा चुनाव के साथ होंगे। इन राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल भी 2034 तक माना जाएगा। यदि कोई विधानसभा 2034 से पहले भंग होती है, तो उसका चुनाव उसी वर्ष के लिए होगा, जब तक कार्यकाल पूरा नहीं होता।

बैलेट पेपर पर वापसी की चर्चा

हाल ही में संसद की संयुक्त समिति के सामने बैलेट पेपर पर वापसी का सवाल भी उठा था। हालांकि, मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि बैलेट पेपर प्रणाली को फिर से लागू करने का सुझाव इस समीक्षा समिति के दायरे में नहीं आता। समिति का काम केवल संविधान और केंद्र शासित प्रदेश कानून के संशोधन को देखना है, जो एक साथ चुनाव कराने के लिए उपयुक्त हैं या नहीं।

सरकार का जन जागरूकता अभियान

सरकार ने इस प्रस्ताव को लेकर एक व्यापक जन संपर्क अभियान चलाने का निर्णय लिया है। आरएसएस और अन्य संगठनों को इस अभियान में शामिल किया जाएगा, ताकि लोगों को इस योजना के फायदे समझाए जा सकें। इसके अलावा, जन संगठनों से अपील की जाएगी कि वे समिति को सुझाव और पत्र भेजें, ताकि बिल में सुधार किए जा सकें और इसे सभी वर्गों में स्वीकार्यता मिल सके।




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