नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ कुंभ मेला 2026 की तिथियाँ घोषित


नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ कुंभ 31 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा

1 जून को नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ कुंभ मेला की तिथियों की घोषणा की गई। यह आयोजन 31 अक्टूबर 2026 को ध्वजारोहण के साथ शुरू होगा और पहला ‘अमृत स्नान’ 2 अगस्त 2027 को गोदावरी नदी में किया जाएगा।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने की बैठक की अध्यक्षता

इस बैठक में साधु-संतों और महंतों के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले के आयोजन का स्तर दुनिया को चौंका देगा।

मुख्य तिथियाँ:

  • ध्वजारोहण: 31 अक्टूबर 2026
  • नगर प्रदक्षिणा: 29 जुलाई 2027
  • पहला अमृत स्नान: 2 अगस्त 2027
  • दूसरा अमृत स्नान: 31 अगस्त 2027
  • तीसरा अमृत स्नान: 11 सितंबर 2027 (नासिक), 12 सितंबर 2027 (त्र्यंबकेश्वर)
  • ध्वज विसर्जन (समापन): 24 जुलाई 2028

बुनियादी ढांचे और सफाई के लिए बड़े प्रोजेक्ट

सरकार ₹4,000 करोड़ के कार्यों की निविदाएं जारी कर चुकी है और ₹2,000 करोड़ के कार्य जल्द ही शुरू होंगे। इसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, गोदावरी नदी की सफाई, और साधुग्राम के लिए भूमि अधिग्रहण शामिल हैं।

नासिक-त्र्यंबकेश्वर कुंभ की विशेषताएँ

यह कुंभ अन्य कुंभ मेलों से अलग है क्योंकि यहाँ वैष्णव और शैव अखाड़े अलग-अलग स्नान करते हैं। रामकुंड, पंचवटी, और कुशावर्त जैसे स्थलों पर विशेष भीड़ प्रबंधन की योजना बनाई गई है। इस बार नासिक में 44 और त्र्यंबकेश्वर में 53 पवित्र स्नान कार्यक्रम होंगे।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

त्र्यंबकेश्वर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यहीं से गोदावरी नदी ब्रह्मगिरी पहाड़ियों से निकलती है। नासिक को दंडकारण्य का हिस्सा माना जाता है, जहाँ भगवान राम ने वनवास के समय निवास किया था।

संरक्षण और विकास कार्य

अहिल्यादेवी होल्कर की जन्मस्थली चौंडी के लिए ₹681 करोड़ की योजना घोषित की गई है। उन्होंने जो घाट बनवाए थे उन्हें भी संरक्षित किया जा रहा है। गोदावरी नदी की पवित्रता और निरंतर प्रवाह को बनाए रखने हेतु जल शुद्धिकरण और अपशिष्ट प्रबंधन योजनाएँ बनाई जा रही हैं।

अमृत स्नान का नामकरण

महंत राजेंद्रदास महाराज के सुझाव पर ‘शाही स्नान’ को अब ‘अमृत स्नान’ कहा जाएगा, जैसा प्रयागराज कुंभ में भी किया गया था।

सरकार का उद्देश्य है कि यह कुंभ मेला सुरक्षित, पवित्र और पर्यावरण अनुकूल वातावरण में सम्पन्न हो। सभी श्रद्धालुओं और अखाड़ों को आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी।




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