मालेगांव विस्फोट मामला: एनआईए अदालत ने सभी आरोपियों को बरी किया
मालेगांव विस्फोट आतंकवाद का कोई धर्म नहीं, सिर्फ धारणा पर सजा नहीं दे सकतेः कोर्ट
मालेगांव विस्फोट केस में साक्ष्य नहीं मिले और एनआईए अदालत ने सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया। 31 जुलाई को मुंबई की एनआईए विशेष अदालत ने 2008 के महाराष्ट्र के मालेगांव विस्फोटों में शामिल सभी सातों आरोपियों को बेदाग बताते हुए बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को संदेह से परे साबित करने में पूरी तरह से विफल रहा।
एनआईए अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को पीड़ितों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया। इस ब्लास्ट केस में पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधांकर धर द्विवेदी (शंकराचार्य) और समीर कुलकर्णी समेत 7 आरोपी थे। एनआईए की विशेष अदालत ने कहा, "आरोपियों के सभी जमानत बांड रद किए जाते हैं और जमानतदारों को मुक्त किया जाता है।"
अदालत ने फैसला सुनाने से पहले अभियोजन पक्ष के 323 गवाहों और बचाव पक्ष के 8 गवाहों से पूछताछ की थी। इन सातों लोगों को गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और अन्य सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है।