लेटरल एंट्री से नियुक्तियां बंद नहीं की जाएंगी – केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह
केंद्रीय कार्मिक एवं लोक शिकायत राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 18 जून, 2025 को स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार लेटरल एंट्री नीति को बंद नहीं कर रही है और यह नीति अभी भी लागू है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया के अंतर्गत आरक्षण नियम लागू नहीं किए जा सकते।
यह बयान उस समय आया है जब कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के निर्देश पर UPSC द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 पदों के लिए जारी विज्ञापन को रद्द किए जाने का एक वर्ष पूरा हो चुका है।
उन्होंने कहा कि भारत के वैश्विक शक्ति बनने के लिए समावेशी विकास जरूरी है। 20 अगस्त, 2024 को जब यह नीति रद्द की गई थी, तो विपक्षी दलों और बीजेपी की सहयोगी पार्टियों ने आरक्षण की अनुपस्थिति को लेकर विरोध जताया था।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “लेटरल एंट्री एक नेक इरादे से शुरू की गई थी। यह मत कहिए कि इससे पहले लेटरल एंट्री नहीं हुई — डॉ. मनमोहन सिंह की नियुक्ति भी इसी प्रकार की थी। हमने इसे यूपीएससी के माध्यम से संस्थागत रूप देने की कोशिश की।”
उन्होंने दोहराया, “एकल पद की नियुक्तियों में आरक्षण लागू नहीं होता है। यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी स्पष्ट किया गया है।” DoPT सचिव रचना शाह ने बताया कि अब तक लगभग 60 पद लेटरल एंट्री मोड के तहत भरे जा चुके हैं और अभी भी 40–45 अधिकारी कार्यरत हैं।
उन्होंने कहा, “कुछ विशेष पदों के लिए विशेष योग्यता की आवश्यकता होती है, इसलिए सरकार जब भी आवश्यक होगा लेटरल एंट्री वापस लाएगी। इसे समाप्त नहीं किया गया है।”
विभाग के अनुसार, लेटरल एंट्री का उद्देश्य मध्य प्रबंधन स्तर पर विशिष्ट कार्यों हेतु विशेषज्ञता वाले नए प्रतिभाओं को लाना है। इसकी औपचारिक शुरुआत 2019 में की गई थी और चयन प्रक्रिया UPSC द्वारा संचालित होती है।