कर्नाटक में आरएसएस की गतिविधियों पर लग सकती है रोक


कर्नाटक में आरएसएस की गतिविधियों पर लग सकती है रोक

कर्नाटक सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सार्वजनिक और सरकारी स्थलों पर होने वाली गतिविधियों को सीमित करने के लिए नियम बनाने का निर्णय लिया है। यह फैसला सूचना एवं जैव प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियांक खरगे द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लिखे गए पत्र के बाद लिया गया है।

सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस गतिविधियों से दूर रहने की अपील

प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को आरएसएस तथा उससे जुड़े संगठनों के कार्यक्रमों में भाग लेने से रोका जाए। उन्होंने इसके लिए कर्नाटक लोक सेवा (आचरण) नियमों का हवाला दिया जिसमें कहा गया है:

"कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक दल या ऐसे संगठन का सदस्य नहीं होगा या उससे नहीं जुड़ेगा, जो राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेता हो। साथ ही किसी राजनीतिक आंदोलन या गतिविधि में भाग नहीं लेगा, चंदा नहीं देगा और किसी प्रकार की सहायता नहीं करेगा।"

प्रियांक ने कहा कि पहले भी निर्देश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद हाल ही में सरकारी कर्मचारी इन गतिविधियों में शामिल होते देखे गए हैं।

सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए अब लेनी होगी अनुमति

प्रियांक खरगे द्वारा पत्र लिखे जाने के कुछ दिन बाद सरकार ने नियम बनाने का निर्णय लिया। अब कोई भी संगठन, चाहे वह आरएसएस हो या कोई अन्य, सरकारी या सार्वजनिक स्थल पर कार्यक्रम आयोजित करने से पहले अनुमति लेनी होगी।

प्रियांक ने कहा, "हम किसी संगठन को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन अब से कोई भी संगठन सार्वजनिक स्थल या सड़क पर मनमानी गतिविधियां नहीं कर सकता। सबको अनुमति लेनी होगी और यह सरकार पर निर्भर करेगा कि अनुमति दी जाए या नहीं।"

उन्होंने आगे कहा कि, "सड़कों पर लाठी लेकर पथ संचलन करना, जुलूस निकालना अब सिर्फ जानकारी देकर नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए निश्चित नियम बनाए जा रहे हैं।"

2013 के बीजेपी सर्कुलर का हवाला

सरकार ने बीजेपी के आरोपों का जवाब देने के लिए 2013 में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा जारी सर्कुलर का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि स्कूल परिसरों और खेल मैदानों का उपयोग सिर्फ शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए किया जाए।

नए नियम जल्द होंगे लागू

प्रियांक खरगे ने कहा कि यह नया नियम सार्वजनिक स्थानों, सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी संस्थानों और अनुदान प्राप्त संस्थानों पर लागू होगा। सरकार गृह विभाग, विधि विभाग और शिक्षा विभाग के पिछले आदेशों को मिलाकर एक नया समेकित नियम लाएगी। यह नियम दो-तीन दिनों के भीतर कानून और संविधान के दायरे में लागू कर दिया जाएगा।

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