लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सदन में नेता प्रतिपक्ष के रूप में आधिकारिक रूप से मान्यता दे दी।
वह इस बार लोकसभा में उत्तर प्रदेश के रायबरेली का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने लोकसभा के कार्यवाहक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) भर्तृहरि महताब को पत्र भेजकर कांग्रेस के इस फैसले के बारे में उन्हें अवगत कराया था कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष होंगे।
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘देश की जनता, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और ‘इंडिया’ के सहयोगियों का मुझ पर भरोसा जताने के लिए दिल से धन्यवाद। विपक्ष का नेता सिर्फ एक पद नहीं है – यह आपकी आवाज़ बनकर आपके हितों और अधिकारों की लड़ाई लड़ने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हमारा संविधान गरीबों, वंचितों, अल्पसंख्यकों, किसानों, मजदूरों का सबसे बड़ा हथियार है और हम उस पर किए गए हर हमले का पूरी ताकत से जवाब देकर उसकी रक्षा करेंगे। मैं आपका हूं और आपके लिए ही हूं।’’
विपक्ष के नेता के तौर पर गांधी को अब कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा। इससे प्रोटोकॉल सूची में उनका स्थान भी बढ़ जाएगा।
नेता प्रतिपक्ष के तौर पर वह केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार से जुड़े चयन के अलावा लोकपाल, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक जैसी प्रमुख नियुक्तियों पर महत्वपूर्ण पैनल के सदस्य भी होंगे। प्रधानमंत्री इन पैनल के प्रमुख होते हैं।
संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 की धारा 3 में निर्दिष्ट वेतन और अन्य सुविधाएं तथा भत्ते प्राप्त करने के अलावा, एक सांसद के रूप में राहुल गांधी उसी स्थिति और वेतनमान में सचिव की सहायता के हकदार होंगे तथा एक कैबिनेट मंत्री की तरह निजी स्टाफ भी उनके पास होगा।
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