प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। यह कैंपस प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित है। इसे आक्रमणकारियों ने करीब 800 साल पहले जला दिया था। लेकिन एक बार फिर यह पुराने स्वरूप में लौटा है। पीएम मोदी के साथ बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी मौजूद थे। दरअसल, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय भारत के समृद्ध इतिहास का अमिट दस्तावेज रहा है, जो प्राचीन भारत के गौरवशाली अतीत को दर्शाता था। लेकिन, खिलजी वंश के आक्रमणकारियों ने इसे लूटा, कत्लेआम मचाया और जला डाला।
800 साल के लंबे इंतजार के बाद इसे फिर इसे पुराने स्वरूप में लौटाने की कवायदें हुईं और सरकारों ने इस पर काम किया। 2007 से तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की पहल के बाद इसके निर्माण की रूपरेखा बनाई गई थी और पीएम मोदी ने 19 जून को नए परिसर का उद्घाटन किया।
करीब 455 एकड़ के दायरे में फैला यह कैंपस विश्व का सबसे बड़ा नेट जीरो ग्रीन कैंपस माना जाता है।
इसकी इमारतें कुछ इस तकनीक से बनाई गई हैं, जो गर्मी में ठंडी और ठंड के दिनों में गर्म बनी रहती हैं।
नए कैंपस में 1 हजार 750 करोड़ रुपये की धनराशि से नए भवनों और अन्य सुविधाओं का निर्माण कराया गया।
नालंदा यूनिवर्सिटी की दो एकेडमिक बिल्डिंग्स हैं। इनमें 40 क्लासरूम्स बनाए गए हैं और 300 सीटों वाला एक एक भव्य आडिटोरियम बनाया गया है।
नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस में विशाल लाइब्रेरी, खुद का पावर प्लांट भी है।इस यूनिवर्सिटी में 26 विभिन्न देशों के विद्यार्थी स्टडी कर रहे हैं।
पोस्ट ग्रेजुएशन, डॉक्टरेट रिसर्च कोर्स, शॉर्ट सर्टिफिकेट कोर्स, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए 137 स्कॉलरशिप खास विशेषता है।
तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्लायल पर जोरदार हमला किया और इसके बर्बाद कर दिया। कई बौद्ध भिक्षुओं का कत्लेआम किया।
आक्रमणकारियों ने इस विश्वविद्यालय को आग के हवाले कर दिया। चूंकि इस विवि में लाखों किताबें थीं, इसलिए नालंदा विवि तीन महीने तक धू धू करके जलता रहा, आग की लपटों में इस विश्वविद्यालय के ही नहीं, भारत के वैभव को भी जला डाला था।
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