जम्मू और कश्मीर एलजी बिना निर्वाचित सरकार की सलाह के सदस्य नामित कर सकते हैं
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल बिना निर्वाचित सरकार की सलाह के विधानसभा में पांच सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं। पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) और नेशनल कांफ्रेंस जैसे राजनीतिक दलों ने इस फैसले का विरोध किया है, उनका कहना है कि यह कदम अलोकतांत्रिक है और जनादेश का उल्लंघन करता है। कांग्रेस नेता ने इस मनोनयन के अधिकार को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
जम्मू और कश्मीर विधानसभा में पांच सदस्यों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार ने जो भ्रम था, उसे दूर कर दिया है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि उपराज्यपाल बिना निर्वाचित सरकार की सलाह और सहायता के अपनी इच्छा से पांच सदस्य मनोनीत कर सकते हैं। केंद्र सरकार ने यह स्पष्टीकरण उच्च न्यायालय में दिया है, लेकिन इसके बाद स्थानीय सियासत तेज हो गई है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने विधायकों के मनोनयन के उपराज्यपाल के अधिकार को अलोकतांत्रिक बताते हुए इसका तीव्र विरोध करने की अपील की है। दूसरी ओर, सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए अत्यंत घातक है और यह जनादेश को नकारने का एक हथियार है।