बड़े जहाज निर्माण को मिला इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा | मेक इन इंडिया


बड़े जहाज निर्माण को मिला इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा

23 सितंबर को सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल को प्रोत्साहित करने के लिए बड़े जहाजों के निर्माण एवं संचालन को अवसंरचना क्षेत्र का दर्जा दे दिया है।

वित्त मंत्रालय की गजट अधिसूचना के अनुसार, भारतीय स्वामित्व वाले और ध्वज वाले वाणिज्यिक जहाज जिनकी वहन क्षमता 10,000 टन या उससे अधिक हो, अब अवसंरचना क्षेत्र में शामिल होंगे।

इसके अलावा, भारत में निर्मित 1,500 टन या उससे अधिक क्षमता वाले भारतीय स्वामित्व वाले जहाजों को भी यह सुविधा दी जाएगी।

वित्त मंत्रालय ने 19 सितंबर को बताया कि बड़े जहाजों को परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स श्रेणी में ‘ढांचागत उप-क्षेत्रों की मानकीकृत सूची’ (एचएमएल) के तहत नए उप-क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है।

यह निर्णय वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में की गई घोषणा के अनुरूप है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर दर्जा मिलने से जहाज उद्योग को विदेशी वित्तपोषण, कर-मुक्त बॉन्ड, कर छूट और समर्पित ऋणदाताओं जैसे IIFCL तक पहुंच में सुविधा मिलेगी।

भारत ने 2016 में ‘जहाज निर्माण स्थल’ को अवसंरचना क्षेत्र में शामिल किया था। वर्तमान में इस सूची में पांच मुख्य क्षेत्र और 38 उप-क्षेत्र हैं, जिनमें परिवहन, ऊर्जा, जल एवं स्वच्छता, संचार और सामाजिक एवं वाणिज्यिक अवसंरचना शामिल हैं।

मेरिटाइम इंडिया विजन-2030 के अनुसार, भारतीय जहाजरानी कंपनियों को आवश्यक वित्त की कमी के कारण वहन क्षमता बढ़ाने में कठिनाई होती है।

बजट 2025-26 में 25,000 करोड़ रुपये का समुद्री-वहन विकास कोष स्थापित करने की घोषणा की गई, जो जहाज वित्तपोषण में मदद करेगा।

सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक भारतीय ध्वज वाले जहाजों का वैश्विक माल ढुलाई में हिस्सा 20% तक बढ़ जाए। इस कोष के जरिये 2030 तक जहाजरानी क्षेत्र में लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये निवेश की उम्मीद है।




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