भारत में रिटेल महंगाई 6 साल के निचले स्तर 3.16% पर पहुँची
भारत में रिटेल महंगाई अप्रैल में घटकर 3.16% पर आ गई है, जो पिछले 69 महीनों का सबसे निचला स्तर है। यह महंगाई दर जुलाई 2019 में 3.15% थी। इस गिरावट का प्रमुख कारण खाने-पीने के सामानों की कीमतों में लगातार नरमी है।
मुख्य बातें:
- महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है।
- मार्च में खाने-पीने की चीजों की महंगाई 3.75% से घटकर 2.67% हो गई थी।
- ग्रामीण महंगाई दर 3.25% से घटकर 2.92% हो गई है, जबकि शहरी महंगाई 3.43% से घटकर 3.36% हो गई है।
- अप्रैल में रिटेल महंगाई दर 3.34% से घटकर 3.16% हो गई, जो पिछले 5 वर्षों का सबसे कम स्तर है।
महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?
महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास ज्यादा पैसे होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और अगर सप्लाई कम होगी तो कीमतें बढ़ेंगी, जिससे महंगाई बढ़ेगी।
वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा होगी तो महंगाई घटेगी।
CPI और महंगाई पर इसका प्रभाव
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) महंगाई दर को निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाता है। हम जब सामान और सेवाओं को खरीदते हैं, तो उनके दामों में जो बदलाव होता है, उसे CPI ट्रैक करता है। CPI एक बास्केट के 300 सामानों की कीमतों के आधार पर महंगाई दर तय करता है। इसमें कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतें और मैन्युफैक्चरिंग की लागत जैसे कई तत्व शामिल होते हैं।