इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि अगले 8-10 महीनों में भारत के पास अपना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) फाउंडेशनल मॉडल होगा। यह एआई मॉडल भारत की सुरक्षा, भाषा और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जा रहा है और यह एआई मॉडल पूरी दुनिया के लिए उपलब्ध होगा।
भारत का एआई मॉडल
भारतीय एआई मॉडल चीन के डीपसीक एआई मॉडल से बेहतर होगा क्योंकि डीपसीक को 2000 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) पर विकसित किया गया है, जबकि भारत का एआई मॉडल 15,000 से अधिक जीपीयू पर विकसित हो रहा है। अमेरिका का चैट जीपीटी 25,000 जीपीयू पर विकसित किया गया है। सरकार की मदद से भारत का अपना एआई मॉडल विकसित करने में वर्तमान में छह कंपनियां जुटी हुई हैं।
कॉमन कंप्यूटिंग सुविधा
सरकार ने अन्य स्टार्टअप और संस्थाओं से भी भारतीय एआई मॉडल विकसित करने को लेकर प्रस्ताव मांगे हैं। एआई मॉडल विकसित करने के लिए सबसे जरूरी कंप्यूटिंग सुविधा होती है, और सरकार सभी के लिए कॉमन कंप्यूटिंग सुविधा उपलब्ध कराने जा रही है। कोई भी संस्था या स्टार्टअप मामूली शुल्क देकर इस कंप्यूटिंग सुविधा का उपयोग कर सकेंगे।
फ्रेमवर्क तैयार
इस शुल्क पर सरकार 40 प्रतिशत की सब्सिडी भी देगी। इंडिया एआई मिशन के तहत 10,000 जीपीयू उपलब्ध हो चुके हैं और अगले कुछ महीनों में जीपीयू की संख्या 18,693 हो जाएगी। कॉमन कंप्यूटिंग सुविधा के लिए फ्रेमवर्क तैयार कर दिया गया है और अगले कुछ दिनों में यह सुविधा सभी के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
एआई मॉडल का विकास
वैष्णव ने कहा कि भारत एआई मॉडल को विकसित करने में कहीं से पीछे नहीं है, हम पूरी तरह से समय पर हैं। कंप्यूटिंग की सुविधा गंभीर मामला है। पिछले साल मार्च में इंडियाएआई मिशन को मंजूरी दी गई थी। इंडियाएआई मिशन सात पिलर पर आधारित है और इसके लिए 10,371 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। कॉमन कंप्यूटिंग सुविधा, एआई मॉडल, एआई एप्लिकेशन और एआई सुरक्षा प्रमुख पिलर हैं। तीन दिन पहले चीन के एआई मॉडल डीपसीक के दुनिया के सामने आने के बाद एआई में भारत के पिछड़ने की बात कही जाने लगी थी।