अब ‘मानसिक मंदित’ नहीं, ‘बौद्धिक दिव्यांग’ कहे जाएंगे रेल यात्री


अब ‘मानसिक मंदित’ नहीं, ‘बौद्धिक दिव्यांग’ कहे जाएंगे रेल यात्री

14 मई को रेल मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की, जिसमें दिव्यांग यात्रियों को दी जाने वाली रियायतों के फॉर्म में "मानसिक मंदित" शब्द को हटाकर "बौद्धिक दिव्यांग" शब्द शामिल किया गया है।

9 मई को सभी रेलवे जोनों के प्रधान मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधकों को भेजे गए परिपत्र में कहा गया है कि अब ‘मानसिक रूप से मंद व्यक्ति जो बिना अनुरक्षक के यात्रा नहीं कर सकते’ के स्थान पर ‘बौद्धिक रूप से अक्षम व्यक्ति जो बिना अनुरक्षक के यात्रा नहीं कर सकते’ शब्द इस्तेमाल होंगे।

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि "मानसिक मंदित" जैसे शब्द अपमानजनक और नकारात्मक अर्थ1 जून से लागू होगा।”

हालांकि, परिपत्र के साथ जो संशोधित फॉर्म संलग्न किया गया है, उसमें अभी भी ‘विकलांग’‘दिव्यांगजन’दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता

संशोधित फॉर्म में निम्नलिखित तीन श्रेणियों को यात्रा रियायत के लिए पात्र बताया गया है:

  • अस्थि/पक्षाघात से पीड़ित व्यक्ति जो बिना अनुरक्षक के यात्रा नहीं कर सकते
  • बौद्धिक दिव्यांगता वाले व्यक्ति जो अनुरक्षक के बिना यात्रा नहीं कर सकते
  • श्रवण एवं वाणी की पूर्ण दिव्यांगता वाले व्यक्ति (एक ही व्यक्ति में दोनों)

गुरु तेग बहादुर अस्पताल के निदेशक प्रो. सतेंद्र सिंह ने कहा, “रेल मंत्रालय की प्रतिक्रिया हमेशा धीमी रही है, लेकिन देर आए दुरुस्त आए। उच्चतम न्यायालय पहले ही समावेशी भाषा पर पुस्तिका जारी कर चुका है।”

उन्होंने आगे कहा, “हम बदलाव का स्वागत करते हैं, लेकिन रेलवे अब भी टुकड़ों में ही सुधार कर रहा है। यहां तक कि संशोधित फॉर्म में भी ‘विकलांग’ और ‘दिव्यांगजन’ जैसे शब्द बने हुए हैं।”




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