नौसेना को मिला माहे युद्धपोत: विशेषताएँ और उपयोगिता
कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी) 'माहे' भारतीय नौसेना को सौंप दिया। यह आठ एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी की श्रृंखला का पहला पोत है।
सीएसएल के अनुसार, स्वीकृति पत्र पर कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के निदेशक (संचालन) डॉ. एस. हरिकृष्णन और माहे के कमांडिंग ऑफिसर (नामित) कमांडर अमित चंद्र चौबे ने हस्ताक्षर किए।
78 मीटर लंबा यह पोत डीजल इंजन-वाटरजेट संयोजन से संचालित होने वाला सबसे बड़ा भारतीय नौसैनिक युद्धपोत है। इसमें 90 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है।
पनडुब्बी रोधी क्षमता बढ़ाएगा
माहे को पानी के भीतर निगरानी, खोज और बचाव कार्यों तथा कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों (LIMO) के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें एएसडब्ल्यू रॉकेट और बारूदी सुरंग बिछाने की क्षमता है, जो तटीय पनडुब्बी रोधी ताकत को बढ़ाएगा।
माहे की डिलीवरी नौसेना के स्वदेशी जहाज निर्माण प्रयासों और सरकार के "आत्मनिर्भर भारत" दृष्टिकोण में एक और मील का पत्थर है।
रक्षा खरीद नियमावली सुधार
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों के लिए राजस्व खरीद प्रक्रिया को सरल और युक्तिसंगत बनाने हेतु नई नियमावली जारी की। रक्षा खरीद नियमावली (डीपीएम) 2025 एक नवंबर से प्रभावी होगी। इससे तीनों सेनाओं और रक्षा मंत्रालय के अधीन संस्थानों को लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की राजस्व खरीद में सुविधा होगी।
नई नियमावली प्रक्रियाओं को सरल बनाएगी, कार्यप्रणाली में एकरूपता लाएगी, और निष्पक्षता, पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित करेगी। यह रक्षा निर्माण और प्रौद्योगिकी में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों एवं स्टार्टअप को अधिक अवसर देगी।
मुख्य प्रविधानों में ढील दी गई है, जैसे देरी पर वसूली (LD)। केवल अत्यधिक देरी के मामलों में अधिकतम 10% LD लागू होगा। स्वदेशीकरण मामलों में LD 0.5% प्रति सप्ताह के बजाय केवल 0.1% प्रति सप्ताह लगेगा।