भारत अपनी आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा नीति संयुक्त राष्ट्र में रखेगा
भारत ने आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा के मुद्दे को विश्व के लिए अहम बताया है। भारत ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हमारा देश भी आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा पर अहम रणनीति को लेकर चल रहा है। यह पूरी दुनिया के लिए जरूरी मुद्दा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र(यूएन) में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए समुद्री और आतंकवाद विरोधी रणनीति सबसे अहम बताया है। आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर भारत ने पूरी दुनिया को आईना भी दिखाने का काम किया है। आतंकवाद के खिलाफ और समुद्री सुरक्षा के पक्ष में भारत की गर्जना से दुश्मन देश भी टेंशन में आ गए हैं।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि वह समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि हमारा देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरते खतरों और भू-राजनीतिक बदलावों के मद्देनज़र अपनी रणनीति को निरंतर मजबूत कर रहा है।
भारत का कदम वैश्विक स्थिरता की ओर राजदूत हरीश ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद में 'वैश्विक स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना' विषय पर आयोजित उच्च स्तरीय खुली बहस को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “भारत की तटरेखा लंबी है और यह समुद्री यात्राओं व शक्तिशाली नौसैनिक क्षमताओं वाला देश है। इसलिए भारत एक जिम्मेदार समुद्री शक्ति के रूप में अपने हितों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है।”
समुद्री सुरक्षा आर्थिक प्रगति की आधारशिला राजदूत हरीश ने कहा कि भारत की समुद्री रणनीति मजबूत रक्षा क्षमताओं, क्षेत्रीय कूटनीति, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और घरेलू अवसंरचना विकास के संतुलन पर आधारित है। भारत का मानना है कि समुद्री सुरक्षा आर्थिक प्रगति की आधारशिला है क्योंकि प्रमुख व्यापारिक मार्ग, ऊर्जा आपूर्ति और रणनीतिक हित महासागरों से जुड़े हैं। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह समुद्री क्षेत्र में एक स्वतंत्र, मुक्त और नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून सम्मेलन (UNCLOS) के सिद्धांतों का पूरी तरह समर्थन करता है।
यूएन ने आतंकवाद और समुद्री डकैतों पर जताई चिंता इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों का पालन करना चाहिए। उन्होंने चेताया कि समुद्री डकैती, तस्करी, संगठित अपराध और आतंकवाद जैसे खतरे वैश्विक शांति, व्यापार और आर्थिक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौतियां हैं। इससे निपटने में सुरक्षा परिषद लगातार प्रयासरत है।