भारत में तेजस लड़ाकू विमान इंजन का निर्माण, मिशन एरो
31 अक्टूबर: भारत अपने लड़ाकू विमानों के लिए अपने स्वयं के इंजन बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है। भारतीय रक्षा उद्योग ने सरकार से मिशन एरो इंजन शुरू करने की अपील की है, जिसका उद्देश्य 110 kN उच्च-थ्रस्ट इंजन को पूरी तरह स्वदेशी रूप से विकसित करना है। यह कदम भारत को विदेशी निर्भरता से मुक्त कर सकता है और आत्मनिर्भर भारत के रक्षा विज़न को मजबूत करेगा।
विदेशी इंजन पर निर्भरता कम करना
वर्तमान में भारत फ्रांस की Safran जैसी कंपनियों के साथ इंजन विकास पर समझौतों की तैयारी में है। हालांकि, सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (SIDM) ने सरकार से अपील की है कि देश में स्वदेशी इंजन निर्माण की क्षमता विकसित की जाए, ताकि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध या प्रतिबंधों का असर वायुसेना या नागरिक विमानन पर न पड़े।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस या रूस द्वारा किसी भी प्रतिबंध का असर भारत की विमान सेवा पर पड़ सकता है। इसलिए स्वदेशी इंजन निर्माण अब केवल तकनीकी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता बन गया है।
मिशन एरो इंजन के उद्देश्य
इस मिशन का लक्ष्य भारत में 110 kN क्षमता वाला इंजन डिजाइन और बनाना है, जो अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों जैसे AMCA और नागरिक विमानों में इस्तेमाल हो सके। भारतीय कंपनियां डिजाइन और निर्माण का नेतृत्व करेंगी, सरकार टैक्स में छूट और कम ब्याज वाले ऋण के रूप में सहायता प्रदान करेगी। गैस टरबाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट (GTRE) तकनीकी मार्गदर्शन और परीक्षण सुविधाएं प्रदान करेगा। पहले पांच साल में प्रोटोटाइप तैयार होगा, उसके बाद परीक्षण और बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होगा।
भारत को कितने इंजन की आवश्यकता है
रिपोर्ट के अनुसार, अगले 20 वर्षों में भारत को कम से कम 712 ऐसे इंजन की आवश्यकता होगी। ये इंजन तेजस Mk-1, Mk-1A, Mk-2 और आने वाले AMCA फाइटर जेट्स को शक्ति देंगे। इससे लगभग 7.6 लाख करोड़ रुपए का बाजार बनेगा और हजारों इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञों को रोजगार मिलेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बयान
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "आत्मनिर्भरता केवल एक नारा नहीं है, यह भारत की सुरक्षा की आधारशिला है। मिशन एरो इंजन जैसे कदम हमारे आसमान को भारतीय नियंत्रण में रखेंगे।"