भारत ने अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए लैंगिक वेतन समानता में हासिल की अग्रणी स्थिति
नई रिपोर्ट के अनुसार 27 अक्टूबर को भारत लैंगिक वेतन असमानता को कम करने में अग्रणी देशों में से एक बन गया है। यहाँ पुरुष और महिलाओं के वेतन में अंतर बहुत कम है, लगभग 13,000 से 23,000 डॉलर के बीच। यह डेटा-आधारित वेतन मॉडल और पारदर्शिता के कारण संभव हुआ है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में इंजीनियरिंग और डेटा पेशेवरों के वेतन में गिरावट आई है, लेकिन लैंगिक समानता के मामले में भारत ने कई विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है। भारत ने वैश्विक स्तर पर लैंगिक वेतन अंतर को तेजी से कम किया है और अब उन देशों में शामिल है जहां पुरुष और महिला का वेतन अंतर सबसे कम है।
ग्लोबल पेरोल और कंप्लायंस प्लेटफार्म डील ने 150 देशों के 10 लाख से अधिक अनुबंध और 35,000 कंपनियों का डेटा विश्लेषण किया। अध्ययन में पाया गया कि डेटा-आधारित वेतन मॉडल और पारदर्शिता ने पूर्वाग्रहों को कम किया है। डील के एपीएसी जनरल मैनेजर मार्क समलाल ने कहा कि भारत का प्रदर्शन न्यायसंगत और योग्यता-आधारित कार्य संस्कृति की बढ़ती स्वीकृति को दर्शाता है।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में इंजीनियरिंग और डेटा पेशेवरों के औसत वेतन में साल-दर-साल 40% तक की गिरावट आई है, जो 2024 में 36,000 डॉलर से घटकर 2025 में 22,000 डॉलर रह गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट कुशल कामगारों की अधिक आपूर्ति और वैश्विक लागत अनुकूलन रणनीतियों के कारण हुई है।
भारत में कार्यबल संरचना तेजी से बदल रही है और हाइब्रिड कार्य मॉडल पर जोर बढ़ रहा है। वर्तमान में, 60-70% कर्मचारी पूर्णकालिक हैं जबकि 30-40% अनुबंध कर्मचारियों के रूप में कार्यरत हैं, जिससे पता चलता है कि कंपनियां लचीले रोजगार मॉडल अपना रही हैं। मार्क समलाल ने कहा कि भारत का उभरना उन देशों में से एक के रूप में जहां लैंगिक वेतन अंतर में उल्लेखनीय कमी आई है, उत्साहजनक है और यह योग्यता और पारदर्शिता आधारित वेतन ढांचे की दिशा में बदलाव को दर्शाता है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा अभी भी उच्चतम वेतन देने वाले देश हैं, और एआई, साइबर सुरक्षा और डिजिटल मार्केटिंग जैसे कौशलों पर 25% तक प्रीमियम वेतन मिल रहा है। उभरते देशों में भारत और ब्राजील में इक्विटी-आधारित वेतन पैकेज तेजी से बढ़ रहे हैं। वैश्विक स्तर पर टेक सेक्टर में लैंगिक वेतन अंतर अब भी चुनौती बना हुआ है, खासकर कनाडा और अमेरिका में, जबकि भारत की तेज प्रगति सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।