भारत बना मिसाल: 2 साल में 4 लाख बाल विवाह रोके
भारत ने पिछले दो वर्षों में 4,00,000 से अधिक बाल विवाह रोककर दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान आयोजित कार्यक्रम में जारी ‘टिपिंग पॉइंट टू जीरो: एविडेंस टुवर्ड्स अ चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया’ रिपोर्ट से सामने आई है। यह रिपोर्ट Just Rights for Children पहल के तहत प्रकाशित हुई।
वर्ष 2023 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा था कि मौजूदा रफ्तार से इस सामाजिक कुरीति को खत्म करने में 300 साल लगेंगे। दुनिया के एक-तिहाई बाल विवाह भारत में होते हैं, लेकिन भारत अब इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है।
2023 में 257 जिलों की पहचान की गई, जहां बाल विवाह की दर 23% से अधिक थी। 270 संगठनों को जोड़ा गया, प्रत्येक को 50 गाँवों में 6 बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी दी गई। सभी मामलों के प्रमाण पोर्टल पर अपलोड किए गए। 25 सितंबर 2025 तक रोके गए बाल विवाह की संख्या 4,00,742 तक पहुँच गई।
जन जागरूकता और रिपोर्टिंग के आंकड़े:
- 96% लोग अब बाल विवाह की शिकायत करने में सहज हैं।
- 63% लोग पूरी तरह सहज हैं।
- 33% लोग कुछ हद तक सहज महसूस करते हैं।
2023-24 के भारत के आँकड़े:
- 73,501 बाल विवाह नागर समाज, पंचायतों और कानूनी हस्तक्षेपों से रोके गए।
- इनमें से 59,364 पंचायतों की मदद से और 14,137 कानूनी कार्रवाइयों द्वारा रोके गए।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अनुसार, देश के 27 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों में 11.5 लाख से अधिक बच्चे बाल विवाह के उच्च जोखिम में हैं। सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, वर्ष 2022 में बाल विवाह से संबंधित 3,563 मामले "प्रोहीबिशन ऑफ चाइल्ड मैरिज एक्ट" के तहत न्यायालयों में दर्ज किए गए, परन्तु केवल 181 मामलों में ही मुकदमेबाज़ी पूरी हो पाई।
यूनिसेफ और अन्य संगठनों के अनुसार 1990 से 2005 तक भारत में बाल विवाह दर में प्रति वर्ष 1% की गिरावट हुई, जबकि पिछले दशक में यह गिरावट 2% प्रति वर्ष रही है।